Haryana

पट्टे की जमीन पर खेती करने वाले किसान अब फसल ऋण और मुआवजा के हाेंगे हकदार

विधानसभा में पारित हुआ हरियाणा कृषि भूमि पट्टा विधेयक

चंडीगढ़, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । हरियाणा में पट्टे (ठेके) की जमीन पर खेती करने वाले किसान भी अब फसल ऋण ले सकेंगे। ठेके की जमीन पर लगी फसल अगर प्राकृतिक आपदा के कारण खराब होती है तो सरकार या बीमा कंपनी की ओर से मुआवजा भू-मालिक की जगह पट्टेदार को दिया जाएगा। गिरदावरी में पट्टेदार किसान को भू-मालिक नहीं दिखाकर अलग कालम में पट्टेदार ही दिखाया जाएगा, जिससे भविष्य में विवाद की कोई गुंजाइश भी नहीं रहेगी।

कृषि भूमि को पट्टे पर देने को वैधानिक बनाने के लिए मंगलवार को राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने कृषि भूमि पट्टा विधेयक सदन में रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी इस नए कानून की प्रशंसा की। बिल पर चर्चा के दौरान विपुल गोयल ने कहा कि कृषि भूमि को पट्टे पर देने की मान्यता के लिए एक तंत्र बनाने, कृषि भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति देने, उसे सुगम बनाने, भूमि स्वामियों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए यह कानून जरूरी था।

अमूमन भू-स्वामी ही पट्टे पर जमीन दी जाती है। इस आंशका के कारण कि पट्टेदार कब्जा अधिकारों की मांग कर सकता है, भू-मालिक अक्सर हर साल पट्टेदार बदल देता है या उसे बंजर रख देता है। इससे कृषि उत्पादन को हानि होती है। यही नहीं, पट्टाकर्ता अपनी भूमि को लिखित रूप में पट्टे पर देने में संकोच करता है और पट्टेदार के साथ अलिखित समझौते को प्राथमिकता देता है। इसके परिणामस्वरूप पट्टेदार को प्राकृतिक आपदा के समय केंद्र अथवा राज्य सरकार से मिलने वाली किसी राहत राशि को पाने से वंचित कर दिया जाता है तथा फसल ऋण भी नहीं मिल पाता। भूमि संसाधनों के अधिकतम उपयोग करने तथा पट्टाकर्ता व पट्टेदार दोनों के हितों की रक्षा करने के लिए पट्टा राशि पर भूमि देने की कानूनी व्यवस्था बनाई गई है।

कृषि भूमि पट्टा विधेयक पर चर्चा के दौरान रोहतक के कांग्रेस विधायक बीबी बतरा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुछ आपत्तियां जताई, जिस पर खुद मुख्यमंत्री नायब सैनी ने स्थिति स्पष्ट कर दी। राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने कहा कि पट्टेदार और भू-मालिक के बीच समझौता तहसीलदार के समक्ष होगा, जिससे विवाद की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी। इसके लिए दोनों पक्षों को कोई शुल्क भी नहीं देना होगा। विवाद भी स्थानीय स्तर पर सुलझा लिए जाएंगे, जिससे कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी।

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(Udaipur Kiran) शर्मा

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