Uttar Pradesh

पाला से बचाव कर मटर की खेती से बेहतर लाभ कमा सकते हैं किसान

मटर की फसल की फाइल फोटो

कानपुर, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । खरीफ के बाद बोई जाने वाली मटर की फसल सर्दियों में किसानों के लिए आय का बड़ा स्रोत माना जाता है। यही नहीं सर्दियों में इसे सब्जी का राजा भी कहा जाता है और इसका प्रयोग अधिकांश सब्जियों में होता है। इसकी पैदावार भी अच्छी होती है, बस पाला इसके लिए सबसे अधिक नुकसानदायक होता है। ऐसे में सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय का कहना है कि मटर की खेती करने वाले किसानों को तभी अधिक लाभ मिल सकता है जब वह पाला से इस फसल को बचाने में सफल रहते हैं। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों के सुझावों के अनुसार किसानों को सावधानी के साथ मटर की फसल पर ख्याल करना होगा।

चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने बताया कि सर्दियों के दिनों में मटर की फसल में अचानक से पाला पड़ने की समस्या देखने को मिलती है। ऐसे में किसानों को अगर यह समस्या नजर आए तो हल्की सी सिंचाई कर देना चाहिए। ⁠अगर आप हल्की सी सिंचाई कर देते हैं तो मटर की फसल में जमीन में ज्यादा गर्मी बढ़ जाती है जो की देर तक बनी रहती है। इस वजह से पाला पड़ने की समस्या में कमी आती है क्योंकि तापमान काबू में आ जाता है। ⁠इतना ही नहीं मटर की फसल को पाला से बचाने के लिए सल्फर का घोल तैयार कर स्प्रे करना चाहिये। इससे भी समस्या से निजात मिलता है। अगर आप मटर की फसल में सल्फर का स्प्रे करते हैं तो खेत में रासायनिक सक्रियता बढ़ जाती है। जिससे कि पौधे को कड़ाके की ठंड से बचाया जा सकता है और इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है। ⁠मटर की फसल में अगर किसानों को पाला पड़ने की समस्या नजर आए तब आपको इसमें मिट्टी की जुताई और गुड़ाई करने से बचना चाहिए ऐसे में समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है। मटर की फसल में यूरिया को 20 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से मिला करके इसका स्प्रे कर देना चाहिए। इससे पाला पड़ने की समस्या से छुटकारा मिलता है।

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(Udaipur Kiran) / अजय सिंह

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