West Bengal

फर्जी पासपोर्ट रैकेट का भंडाफोड़ : गिरफ्तार आरोपित नौकरी रैकेट में भी शामिल

भारतीय पासपोर्ट

कोलकाता, 03 जनवरी (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल में सक्रिय फर्जी भारतीय पासपोर्ट रैकेट से जुड़े मामले में कोलकाता पुलिस ने आठवें और अंतिम आरोपित धीरन घोष को गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ है कि वह न केवल फर्जी पासपोर्ट और पहचान पत्र बनाने में संलिप्त था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध नौकरियों के रैकेट से भी जुड़ा हुआ था।

कोलकाता पुलिस के सूत्रों के अनुसार, धीरन घोष के आय के दो प्रमुख स्रोत थे। पहला, वह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय पहचान पत्र और पासपोर्ट बनाता था। जब ये घुसपैठिये भारतीय सीमा में प्रवेश करते, तो उन्हें फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते।

दूसरा स्रोत था अवैध नौकरियों की व्यवस्था, जिसमें यूरोप के कुछ देशों तक भी नौकरियों की पेशकश की जाती थी। यह व्यवस्था उन बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए होती थी जो मोटी रकम चुकाने को तैयार रहते थे।

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इटली से जुड़ा नेटवर्क

सूत्रों के अनुसार, धीरन घोष ने 2017 में भारत लौटने से पहले 10 वर्षों तक इटली में एक रसोइये के रूप में काम किया था। वहां उसने अंतरराष्ट्रीय नौकरी रैकेट से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों के साथ संपर्क स्थापित किया। भारत लौटने के बाद उसने इन संबंधों का इस्तेमाल कर फर्जी पहचान पत्र बनाने और अवैध नौकरियों की व्यवस्था के कारोबार में कदम रखा।

घोष ने बांग्लादेश में भी अपना एक नेटवर्क स्थापित किया था, जो वहां के नौकरी चाहने वालों को अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्रवेश करने और फिर विदेश में नौकरी पाने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने में मदद करता था।

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फर्जी पासपोर्ट रैकेट का संचालन

15 दिसंबर से कोलकाता पुलिस और पश्चिम बंगाल पुलिस ने इस रैकेट से जुड़े सात लोगों को गिरफ्तार किया था। जांचकर्ताओं ने रैकेट के संचालन के पैटर्न का भी खुलासा किया है। और नए साल की शुरुआत के साथ ही इस मामले में गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है।

बांग्लादेश से भारतीय सीमा में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले घुसपैठियों को स्थानीय एजेंटों के माध्यम से पहले सुरक्षित शरणस्थल प्रदान किया जाता था। इसके बाद उन्हें फर्जी राशन कार्ड दिए जाते, जो अन्य पहचान पत्र जैसे मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड और आधार कार्ड बनाने के लिए आधार बनते थे। अंततः इन दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पासपोर्ट बनाए जाते थे।

कोलकाता पुलिस इस रैकेट से जुड़े अन्य पहलुओं की जांच कर रही है और अपराधियों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए सख्त कार्रवाई कर रही है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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