
प्रयागराज, 26 मई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी फतेहपुर से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि कोर्ट के दो बार आदेश के बावजूद गांव सभा व सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण क्यों नही हटाया गया। यदि नहीं हटाया तो धारा 67 की कार्यवाही का तार्किक निष्कर्ष देते हुए तय करें कि अतिक्रमण किया गया है या नहीं।
कोर्ट ने खलिहान, तालाब,बंजर व ऊसर जमीन पर अतिक्रमण करने के आरोपी विपक्षी को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित विपक्षियों से याचिका पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 30 मई को होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने फतेहपुर के ब्लाक भिटौरा, जिला फतेहपुर के निवासी फूलचंद्र मौर्या की जनहित याचिका पर दिया है। याची की जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कोर्ट ने 9 मई 18 को निर्देश दिया था कि राजस्व संहिता की धारा 67 की कार्यवाही 90 दिन में पूरी करे। इसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई तो 2024 मे छह साल बाद दुबारा जनहित याचिका दायर की गई। तो फिर से कोर्ट ने धारा 67 की कार्यवाही पूरी करने का आदेश दिया। कहा गया कि एक प्लाट के बारे में 15 जुलाई 19 को अतिक्रमण हटाने का आदेश हुआ किन्तु उस पर अमल नहीं किया गया। याची अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के दो आदेश के बावजूद अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे।
कोर्ट ने कहा जब कोर्ट अधिकारियो को अपना कर्तव्य निभाने का आदेश देती है तो कहते हैं कोर्ट सरकार चला रही। इसका यह जीता-जागता उदाहरण है कि कोर्ट क्यों कदम उठाती है। सार्वजनिक गांव सभा की जमीन का अतिक्रमण किया गया है। हाईकोर्ट ने दो बार याचिका निस्तारित कर इस उम्मीद के साथ निर्देश दिया कि अधिकारी अपना कर्तव्य निभायेंगे। अधिकारियों ने एक आदेश पारित किया किन्तु उस पर अमल नहीं किया गया।यह सब याची कह सकता है। प्रथमदृष्टया विपक्षी पावरफुल व्यक्ति लगता है, उसका अपना तरीका है।
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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे
