मुंबई,2अक्टूबर (Udaipur Kiran) । कचरा पुनर्चक्रण के लिए तीन ‘आर’ यानी ‘रिड्यूस, रियूज, रिसाइकल’, यदि कचरे को सही तरीके से छांट लिया जाए तो 90% कचरे को डंप किया जा सकता है।कचरा प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने राय दी कि कचरे का सही तरीके से वर्गीकरण ही होना चाहिए।
स्वच्छता सेवा के अवसर पर, हाल ही में ठाणे नगर निगम द्वारा एक्शन फॉर ठाणे के माध्यम से, ठाणे में पर्यावरण क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के साथ काशीनाथ घाणेकर हॉल में एक दिवसीय अपशिष्ट प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
ठाणे में अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करने और समाधान खोजने के लिए दिल्ली, इंदौर, पुणे जैसे विभिन्न शहरों के विशेषज्ञों ने इस सत्र में भाग लिया। सेमिनार में औद्योगिक विशेषज्ञों, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं और संगठनों, गैर सरकारी संगठनों और नगर निगम के अधिकारियों ने भाग लिया।
यदि कचरे का वर्गीकरण नहीं किया गया तो कोई भी तकनीक ,समस्या का समाधान नहीं कर सकती। शहर से बहुत दूर नहीं लेकिन टिकाऊ स्थलों की आवश्यकता है। गीले कचरे के लिए विभिन्न तरीकों जैसे बायोमेथेनेशन, संपीड़ित बायोगैस, कचरे से ऊर्जा और टॉरफेक्शन पर चर्चा की गई।
चर्चा किए गए कुछ उपायों में कूड़ा फैलाने वालों को प्रोत्साहित करना और जुर्माना लगाना, किराए पर बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना, ईमानदार विक्रेताओं को पहचानना, सोसायटी के समिति सदस्यों के लिए जागरूकता सत्र आयोजित करना और हाउसकीपिंग एजेंसियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना शामिल है। अपशिष्ट पुनर्चक्रण को बढ़ावा देने और प्लास्टिक संग्रह, प्लास्टिक कैफे आदि को प्रोत्साहित करने के लिए एक साझा मंच बनाने का सुझाव दिया गया। रीसाइक्लिंग के तीन ‘आर’ ‘कम करें, दोबारा इस्तेमाल करें, रीसायकल करें’ के साथ-साथ ‘इनकार’ और ‘जिम्मेदारी’ के दो नए ‘आर’ हैं। इसके साथ ही दो नए ‘आर’ ‘इनकार’ और ‘जिम्मेदारी’ को अपनाने का सुझाव दिया गया।
घरेलू खतरनाक कचरे पर भी सत्र में चर्चा की गई जिसमें डायपर, सैनिटरी कचरा, फिनाइल की बोतलें आदि शामिल हैं। इसे नजरअंदाज किया जाता है और यह गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। साथ ही कचरा प्रबंधन के प्रति ‘एनआईएमबीआई’ सिंड्रोम यानी ‘मेरे पिछवाड़े में नहीं’ रवैये पर भी चर्चा की जा रही है, जहां नागरिक स्वच्छ शहर चाहते हैं, उम्मीद करते हैं कि कचरे का उचित प्रबंधन किया जाएगा, लेकिन वे खुद कुछ भी करने को तैयार नहीं हैं।
इस मौके पर इंदौर मॉडल पर वहां काम करने वाले लोगों ने चर्चा की और कचरे की समस्या में नागरिक भागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला।
एवर एनवायरो के सिद्धांत श्रीवास्तव, गारबेज टू सीएनजी प्रोजेक्ट, एशिया के सबसे बड़े बायोमेडिकल वेस्ट साइट मुंबई वेस्ट मैनेजमेंट एंड रिसस्टेनेबल के सोमनाथ मालगर, सृष्टि वेस्ट प्राइवेट लिमिटेड, इंदौर मॉडल के धनश्री गुजर, इन्फोटेक सॉल्यूशंस के गिरीश धुलप, बायोगैस प्रोजेक्ट, ल्हासा ग्रीन्स (टो) गो वैन्स) और समर्थ भारत गैस, स्त्री मुक्ति संघन, मेनोस एनवायरनमेंट, रोटरी क्लब आदि के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर ठाणे नगर निगम की मुख्य पर्यावरण अधिकारी मनीषा प्रधान, उप मुख्य स्वच्छता निरीक्षक लक्ष्मण पुरी उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा