—सूचना का अधिकार अधिनियम आधारित जानकारी साझा की गई
वाराणसी, 20 सितम्बर (Udaipur Kiran) । काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्टाफ डेवलपमेंट सेल (एसडीसी) ने शुक्रवार को सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम पर आधारित व्यापक प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया। प्रशिक्षण सत्र केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों (सीपीआईओ) और विश्वविद्यालय के उन कर्मचारियों के लिए तैयार किया गया था जो आरटीआई से संबंधित कार्यों में संलग्न हैं।
प्रशिक्षण सत्र में विशेषज्ञों, रजिस्ट्रार वरिष्ठ प्रो. अरुण कुमार सिंह और संयुक्त रजिस्ट्रार डॉ. एस.पी. माथुर ने अपने ज्ञान और अनुभव को कर्मचारियों और अफसरों से साझा किया। सत्र की शुरुआत में सहायक रजिस्ट्रार राज कुमार सोनी ने जीवंत लोकतंत्र में जागरूक नागरिकता के महत्व को बताया। साथ ही थॉमस जेफरसन का उद्धरण भी दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने में आरटीआई अधिनियम के महत्व पर जोर दिया।
प्रो. सुजीत कुमार दुबे, समन्वयक, आर.पी. मेहरोत्रा, सलाहकार और सहायक रजिस्ट्रार राज कुमार सोनी के संयोजन में एसडीसी गैर-शिक्षण कर्मचारियों के कौशल, ज्ञान और व्यावसायिक विकास को बढ़ाने के लिए समर्पित है। इसने प्रभावी संचार, टीम निर्माण, समस्या समाधान, बुनियादी एमएस एक्सेल, सार्वजनिक खरीद प्रणाली, उन्नत एमएस एक्सेल और कार्यालय प्रक्रियाओं सहित विभिन्न विषयों पर सफलतापूर्वक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। कार्यक्रम में राजकुमार सोनी ने घोषणा किया कि आगामी प्रशिक्षण कार्यक्रमों में एमएस एक्सेल में डेटा का विश्लेषण और एमएस वर्ड, संस्थागत कार्यक्रम योजना (डी एस डब्ल्यू द्वारा), टीम में काम करना, समय प्रबंधन, और गूगल बार्ड और चैट जीपीटी का उपयोग बताया जाएगा।
प्रो. अरुण कुमार सिंह ने आरटीआई अधिनियम की पृष्ठभूमि, आवश्यकता और कार्यान्वयन पर चर्चा की। उन्होंने आरटीआई अधिनियम के पूर्व और बाद के वातावरण को उजागर किया, विशेष रूप से स्वतः संज्ञान द्वारा जानकारी के प्रसार के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जानकारी की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने में पीआईओ की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और उपयोगी सुझाव साझा किए। संयुक्त रजिस्ट्रार डॉ. एस.पी. माथुर का सत्र व्यावहारिक और संवादात्मक था, जिसमें प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। डॉ. माथुर ने अपने विशाल अनुभव के साथ आरटीआई से संबंधित कई वास्तविक जीवन के उदाहरणों पर चर्चा की, विभिन्न आरटीआई-सम्बन्धित स्थितियों को संभालने के लिए महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान की। प्रतिभागियों ने आरटीआई से संबंधित अपनी चुनौतियों को खुलकर साझा किया और सत्र एक सहयोगात्मक सीखने का मंच बन गया। आरटीआई कर्तव्यों को निभाते समय प्रतिभागियों के सामने आने वाली व्यावहारिक समस्याओं पर चर्चा हुई।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी