Uttrakhand

कलाकार सभी का होता है: नरेन्द्र सिंह नेगी

नरेन्द्र सिंह नेगी

हरिद्वार, 20 जनवरी (Udaipur Kiran) । लोकगायक अपने गीतों के माध्यम से आम जनता की आवाज को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने का प्रयास करता है। लोकगीत व रंगमंच ऐसे माध्यम हैं, जिसके माध्यम से कलाकार समाज को जागृत करने का काम करते रहे हैं। यह उद्गार उत्तराखंड के जाने-माने लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने भेंटवार्ता में व्यक्त किए।

नरेन्द्र सिंह नेगी अपनी टीम के साथ शिवालिक नगर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे। उन्हाेंने विशेष भेंट वार्ता में लोकगीतों व रंगमंच से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि लोक कलाकार किसी दल, वर्ग विशेष का नहीं होता है। वह अपने लोकगीतों व सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से अपने लोकगीतों व संस्कृति का प्रचार-प्रसार करता है। समय-समय पर विभिन्न स्थानों में कार्यक्रम आयोजित कराने वाली संस्थाएं व समूह इन कलाकारों को मंच उपलब्ध कराते हैं, जिसका उपयोग जहां कलाकार अपनी कला को प्रस्तुत करने के लिए करते हैं वहीं आयोजक कार्यक्रम में आई जनता के सामने अपना पक्ष रखने के लिए करते हैं।

उन्होंने कहा कि वह किसी दल विशेष का प्रचार कभी अपने मंच व गीतों से नहीं करते हैं। उन्होंने अपने गीतों के माध्यम से हमेशा सुदूर क्षेत्र की जनता की समस्याओं को उठाने का प्रयास किया है। नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि कलाकार सभी का होता है। उन्होंने हमेशा विभिन्न कलामंचों के माध्यम से निर्भय होकर बेबाक ढ़ंग से अपनी बात को जनता के सामने रखा है। नए लोक कलाकारों से उन्होंने आह्वान किया कि वह निष्पक्षता व निर्भयता के साथ अपनी बात को जनता के सामने रखें। उन्होंने कहा कि जब तक वह मंचों पर अपनी प्रस्तुति देते रहेंगे, तब तक जनपक्ष की आवाज को अपने गीतों के माध्यम से उठाने का काम करते रहेंगे।

उत्तराखंड के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य पर उन्होंने कहा कि यहां की प्राकृतिक सौन्दर्य व सम्पदा को नेताओं ने अपने स्वार्थ के चलते ठगने का काम किया है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे डैम बनाकर विद्युत परियोजनाओं को लागू किया जा सकता है। वर्तमान में उत्तराखंड में लगभग 500 डैम योजनाएं प्रस्तावित है। रोजगार व विकास के नाम पर प्रदेश के सुदूर क्षेत्रों से होता पलायन गहन चिन्तन का विषय है। नरेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि लोक गीत संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। यह एक ऐसा माध्यम से जिसके द्वारा हम सरल व सहज शब्दों में अपनी बात को उचित मंच तक पहुंचाने में सहायक होते हैं।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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