–डॉ. सारिका के शोध में दूरस्थ क्षेत्रों के महाविद्यालयों की कॅरियर आकांक्षाओं पर महत्वपूर्ण निष्कर्ष आये सामने
नैनीताल, 6 जनवरी (Udaipur Kiran) । कुमाऊँ विश्वविद्यालय की पूर्व प्राध्यापक डॉ. सारिका वर्मा ने नारायणनगर के एसएनएसजीपीजी कॉलेज और मुनस्यारी के जीपीजी कॉलेज के छात्रों की आर्थिक दृष्टिकोण और कॅरियर आकांक्षाओं पर तुलनात्मक अध्ययन किया है। उनके शोध के निष्कर्षों के अनुसार दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्रों के महाविद्यालयों में अधिकांश छात्राएं पारंपरिक क्षेत्रों जैसे शिक्षण और सरकारी सेवा को प्राथमिकता देती हैं।
अध्ययन में उन्होंने उत्तराखंड के दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में छात्रों के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों और उनके करियर विकल्पों को लेकर सोच पर महत्वपूर्ण निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं। यह अध्ययन छात्रों की करियर आकांक्षाओं को सही दिशा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।
इसका मुख्य कारण पारिवारिक पृष्ठभूमि और वित्तीय बाधाओं का प्रभाव है। अध्ययन में यह भी सामने आया कि स्थिर और सरकारी नौकरियां छात्रों के लिए वित्तीय सुरक्षा का प्रमुख साधन हैं। साथ ही अध्ययन के अनुसार छात्रों के लिए करियर काउंसलिंग और मार्गदर्शन आवश्यक है।
शोध में कार्यशालाओं, कौशल विकास कार्यक्रमों और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने वाली पहलों, शहरी क्षेत्रों के पेशेवरों और उद्योगों के साथ छात्रों को जोड़ने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाने की आवश्यकता जतायी गयी है, ताकि उन्हें विविध करियर विकल्पों के बारे में जानकारी मिल सके। साथ ही शोध में छात्रों को इंटर्नशिप और नौकरी की सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ वित्त पोषण की व्यवस्था पर भी बल दिया गया है। इससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच के अंतर को कम किया जा सकता है।
डॉ. सारिका वर्मा के इस अध्ययन में डॉ. सुधीर तिवारी, प्रो. प्रेमलता पंत और एसएनएसजीपीजी कॉलेज नारायणनगर व जीपीजी कॉलेज मुनस्यारी के सभी सदस्यों का भी सहयोग रहा।
(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी