–दूरस्थ शिक्षा की महत्ता बढ़ी : प्रो0 सत्यकाम
प्रयागराज, 22 नवम्बर (Udaipur Kiran) । उ.प्र राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय के 27वें स्थापना दिवस समारोह और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयन्ती पर शुक्रवार को दूरस्थ शिक्षा में मेरे अनुभव एवं विचार विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता यशवंतराव चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विश्वविद्यालय, नासिक के पूर्व कुलपति प्रोफेसर ई वायुनन्दन ने कहा कि हमें विश्वविद्यालय में नामांकन को बढ़ाने के लिए नवीन तकनीकी से जुड़ना होगा। तकनीकी के प्रयोग से ही हम पारदर्शिता एवं जवाबदेही ला पायेंगे।
उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का सबसे महत्वपूर्ण प्रयोग कोविड काल में समझ में आया जब सभी विश्वविद्यालयों ने ऑनलाइन परीक्षा कराने में हाथ खडे़ कर दिये। तो केवल मुक्त विश्वविद्यालयों ने ही ऑनलाइन प्रवेश एवं परीक्षा सम्पादित कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को नवीन टेक्नोलॉजी से जुड़ जाना चाहिए। नवीन तकनीक के ऑनलाइन माध्यम से परीक्षाएं आसानी से कराई जा सकती हैं। मुक्त विश्वविद्यालय नासिक में इसका सफल प्रयोग कर चुके हैं।
प्रो0 वायुनंदन ने तकनीक को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के अभिलेखों को भी व्यवस्थित रखना होगा जिससे नैक इत्यादि में प्रभावी उपस्थित दर्ज हो सके। मुक्त विश्वविद्यालय की समस्याओं पर उन्होंने ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि नवीन कार्यक्रमों की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ यह भी बताना जरूरी है कि इस कोर्स से किसको क्या लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा एग्रीकल्चर कोर्स तथा स्किल डेवलपमेंट आधारित कार्यक्रमों को भी महत्व देना चाहिए तथा जेल में उक्त कार्यक्रमों को संचालित करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो0 सत्यकाम ने कहा कि मुख्य वक्ता के व्याख्यान का लाभ उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय को अवश्य मिलेगा। उनका अनुभव हमारे विश्वविद्यालय के लिए अत्यंत लाभदायक होगा। साथ ही प्रवेश विभाग, परीक्षा विभाग, आन्तरिक गुणवत्ता सुनिश्चयन प्रकोष्ठ सहित सभी विभागों की कार्य पद्धति में दक्षता आएगी। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा की महत्ता बढ़ती जा रही है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ त्रिविक्रम तिवारी, सहायक आचार्य ने तथा अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक डॉ आनन्दानन्द त्रिपाठी सह आचार्य ने किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी निदेशकगण, प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र