
अजमेर, 22 मई (Udaipur Kiran) । आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष व कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह राठौड़ ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर संवैधानिक पद की गरिमा को तार-तार करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जब सेना ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमा पर दुश्मन से लोहा ले रही थी, उस समय विधानसभा अध्यक्ष उद्घाटन कार्यक्रमों में भाग लेकर माला और साफा पहन रहे थे। यह आचरण संवैधानिक पद की मर्यादा के अनुकूल नहीं है।
राठौड़ गुरुवार को अजमेर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा की डबल इंजन सरकार लगातार संविधानिक संस्थाओं पर हमला कर रही है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का पद अजमेर के वरिष्ठ विधायक को मिलने पर जनता को बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन आज वे स्वयं संवैधानिक मर्यादाओं की अनदेखी कर रहे हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जब राहुल गांधी को अदालत से दो वर्ष की सजा हुई तो 24 घंटे के भीतर लोकसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी और सरकारी आवास भी खाली करवा लिया। लेकिन राजस्थान के विधायक कंवरपाल मीणा को सजा मिलने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष ने अब तक कोई कार्यवाही नहीं की है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली चार बार उनसे मुलाकात कर चुके हैं, फिर भी केवल आश्वासन ही मिला। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या विधायक को इतना समय इसलिए दिया गया ताकि वह सुप्रीम कोर्ट से राहत ले सकें?
राठौड़ ने भाजपा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के मामले में एक प्रकार की कार्रवाई हुई, जबकि भाजपा विधायक के मामले में ढिलाई बरती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि वासुदेव देवनानी संवैधानिक पद की गरिमा का पालन नहीं कर रहे हैं और मंत्री की तरह कार्य कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस द्वारा किए गए शांतिपूर्ण आंदोलनों पर एफआईआर दर्ज कर दी गई, लेकिन अजमेर के उप महापौर के विवादित कृत्य पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। भाजपा नेताओं द्वारा ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस ब्रीफिंग करने वाली महिला अधिकारी पर की गई टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने भी निंदनीय माना है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की।
अजमेर की स्थानीय समस्याओं पर बोलते हुए राठौड़ ने कहा कि शहर में पानी की आपूर्ति 72 से 90 घंटे में हो रही है, बिजली की व्यवस्था चरमराई हुई है और नगर निगम के कार्य ठप पड़े हैं। उन्होंने वन विभाग की जमीन पर विशेष वर्ग के लोगों को परेशान किए जाने, होटलों को अनावश्यक नोटिस दिए जाने और अवैध निर्माण को लेकर प्रशासनिक लापरवाही के आरोप भी लगाए।
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(Udaipur Kiran) / संतोष
