नई दिल्ली/पटना, 24 जनवरी (Udaipur Kiran) । ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक डॉ. बीरबल झा ने भारत की भाषाई विविधता की चर्चा करते हुए कहा कि अंग्रेजी जहां व्यावसायिक रूप से देश को जोड़ती है जबकि हिन्दी भावनात्मक एकता का एहसास कराती है।
डॉ. बीरबल झा ने कम्युनिकेशन स्किल के क्षेत्र में देश की प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान ब्रिटिश लिंग्वा के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के 101वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित एक सेमिनार को संबोधित करते हुए यह बात कही। भारतीय शिक्षा व्यवस्था विषय पर आयोजित इस सेमिनार का आयोजन बोरिंग रोड स्थित सेंटर पर किया गया था।
मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए ब्रिटिश लिंग्वा के संस्थापक डॉ. बीरबल झा ने कहा कि समय के साथ-साथ शिक्षा के स्तर में काफी प्रगति हुई है लेकिन अभी बहुत सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक समय था, जब गुरुकुल परम्परा के तहत छात्र शिक्षक के घर पर वर्षों रहकर शिक्षा ग्रहण किया करते थे। पूर्व में शिक्षक समय की आवश्यकतानुसार छात्रों को जीवन जीने का मूल मंत्र दिया करते थे, अब उसे वर्तमान समय की जरूरत और मार्केट की मांग के अनुसार परिवर्तित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति में पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास पर भी जोर दिया जा रहा है। डॉ. झा ने कहा कि हमारी कौशल विकास की पद्धति और स्तर को अंतरराष्ट्रीय डिमांड के अनुसार नए रूप देने की आवश्यकता है। इस मामले में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में प्रवीणता के साथ ही अन्य विदेशी भाषाई शिक्षा पर जोर देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बिहार जहां आज भी अंग्रेजी सरकारी उपेक्षा की शिकार है और मैट्रिक बोर्ड में भी अंग्रेजी में पास करना भी जरूरी नहीं है, उसे समयानुसार सुधारने की आवश्यकता है।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर