
नई दिल्ली, 17 फरवरी (Udaipur Kiran) । सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने नागरिक-जनित डेटा का उपयोग करने के लिए अपनी चल रही पहलों के हिस्से के रूप में सोमवार को यहां भारत में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लिए नागरिक-जनित डेटा (सीजीडी) का लाभ उठाने पर एक कार्यशाला आयोजित की।
कार्यशाला का उद्देश्य डेटा अंतराल को संबोधित करने और राष्ट्रीय सांख्यिकीय परिदृश्य में समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए एक मूल्यवान उपकरण के रूप में सीजीडी के बारे में जागरुकता और समझ को बढ़ाना है। इसने भारतीय संदर्भ में सीजीडी पर कोपेनहेगन फ्रेमवर्क की प्रासंगिकता पर चर्चा करने और देश की सांख्यिकीय प्रणाली के भीतर इसके संभावित अनुकूलन का पता लगाने के लिए एक मंच प्रदान किया। चर्चा में डेटा पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने और साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण का समर्थन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने किया। इसमें लगभग 75 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें केंद्रीय मंत्रालयों, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, साथ ही संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे।
डॉ. गर्ग ने अपने उद्घाटन भाषण में आधिकारिक सांख्यिकी के एक मूल्यवान पूरक के रूप में नागरिक-जनित डेटा के महत्व पर जोर दिया, जो डेटा अंतराल को पाटने और समावेशिता को बढ़ावा देने में मदद करता है। उन्होंने भारत की सांख्यिकीय प्रणाली में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका और एसडीजी निगरानी और रिपोर्टिंग में सीजीडी को एकीकृत करने की संभावना तलाशने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत पहले से ही सहभागी नियोजन प्रक्रियाओं, सामाजिक लेखा परीक्षा और केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली में लगा हुआ है, ये सभी पहल सरकार के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। यह एसडीजी के “कोई भी पीछे न छूटे” के सिद्धांत के अनुरूप है। इसके अलावा इन प्रयासों को एक व्यापक ढांचे के माध्यम से बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने डेटा में नागरिक योगदान की पूरी क्षमता को उजागर करने में शामिल विभिन्न चुनौतियों को रेखांकित किया जैसे कि व्यक्तिपरकता, प्रतिनिधित्व, गोपनीयता और सुरक्षा, मापनीयता, स्थिरता आदि।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के महानिदेशक एनके संतोषी ने अपने स्वागत भाषण में एसडीजी निगरानी के लिए व्यापक डेटा आवश्यकताओं और बारीक अंतर्दृष्टि की आवश्यकता को संबोधित करने के लिए मंत्रालय के प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय गैर-पारंपरिक डेटा स्रोतों, जैसे कि नागरिक-जनित डेटा, भू-स्थानिक जानकारी और अन्य नवीन दृष्टिकोणों की खोज कर रहा है। ताकि आधिकारिक सांख्यिकी को पूरक बनाया जा सके और विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर एसडीजी प्रगति की ट्रैकिंग को मजबूत किया जा सके।
यूएनआरसीओ के प्रतिनिधि ने सीजीडी में वैश्विक प्रगति का अवलोकन प्रदान किया, नागरिक डेटा पर कोपेनहेगन फ्रेमवर्क पेश किया और भारतीय सांख्यिकीय प्रणाली के भीतर इसकी प्रासंगिकता और अनुकूलन पर चर्चा की। डिजी यात्रा फाउंडेशन के सीईओ सुरेश खड़कभवी ने डिजी यात्रा प्लेटफॉर्म के माध्यम से नागरिक-जनित डेटा तैयार करने पर जानकारी साझा की। भारतीय स्टेट बैंक के डीजीएम राजीव रंजन ने पेंशनभोगियों के लिए डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र योजना में सीजीडी के उपयोग पर चर्चा की।
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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव
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