
हरिद्वार, 01 अप्रैल (Udaipur Kiran) । देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिसर में भूमि सुपोषण एवं संरक्षण अभियान कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस दौरान विशेषज्ञों ने युवा पीढ़ी को भूमि को उर्वर बनाए रखने और पर्यावरण को संरक्षित बनाने के विविध उपायों पर जोर दिया।
इस अवसर पर अपने संदेश में देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि भारत में लगभग 30 प्रतिशत भूमि क्षरण से पीडि़त है, जो हमारी भूमि के प्रति उदासीनता की ओर इंगित करती है। व
डॉ. पण्ड्या ने कहा कि इस अभियान के तहत देश भर में भूमि को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से प्राकृतिक और वैज्ञानिक उपायों का विस्तार किया जाना है।
युवा आइकान ने जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन, जल-संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन की नई तकनीकें, यज्ञ विज्ञान द्वारा भूमि की उर्वरता में सुधार, भूमि क्षरण को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास आदि पर भी अधिक ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अभियान के समन्वयक डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि इस दिशा में कार्य करने के लिए देसंविवि के युवा संकल्पित हुए। उन्होंने बताया कि अभी नहीं, तो कभी नहीं की तर्ज पर भूमि को उर्वर बनाने तथा संरक्षित किया जाना चाहिए, अन्यथा आने वाले समय में खाद्यानों की भारी कमी हो सकती है।
इस अवसर पर अनेक विद्यार्थियों ने भूमि सुपोषण एवं पर्यावरण संरक्षण पर अपने विचार भी रखे।
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
