

जयपुर, 31 मई (Udaipur Kiran) । अगर आप अपने घर, फैक्ट्री या किसी भी सजावटी निर्माण का सपना देख रहे हैं, तो एक शानदार मौका आपका इंतजार कर रहा है। इंडिया इंटरनेशनल डिज़ाइन कॉन्क्लेव (आईआईआईडी) 2025 में आप डिज़ाइन, आर्ट, संस्कृति और जयपुर की रचनात्मकता को न सिर्फ देख पाएंगे, बल्कि महसूस भी कर सकेंगे। ये कहना था आईआईडी के राजस्थान चेयरमैन, आर्किटेक्ट आशीष कला का। उन्होंने आगे बताया कि इस आयोजन की मेज़बानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीरियर डिज़ाइनर्स (आईआईआईडी) जयपुर रीजनल चैप्टर कर रहा है। यहाँ आप नई तकनीकों और डिज़ाइनों को अपनी आँखों से देखेंगे और लोकल आर्टिस्ट्स और कारीगरों से सीधे मिलकर उनकी कला और हुनर को समझ पाएंगे।
आईआईडी के चेयरपर्सन इलेक्ट, क्षितिज मनु ने बताया कि कॉन्क्लेव के दूसरे दिन कई महत्वपूर्ण वर्कशॉप हुई जिनमें से एक में उदयपुर के आर्किटेक्ट गौरव गुप्ता ने आर्किटेक्चर और कंस्ट्रक्शन में बांस और कंक्रीट को मिलाकर टिकाऊ और किफायती संरचनाएँ बनाने की जरूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि बांस को आरसीसी में स्टील सरिया की जगह उपयोग कर भूकंप-रोधी इमारतें बनाई जा सकती हैं। बांस दीमक रोधी और पर्यावरण अनुकूल है, और भारत के पारंपरिक मंदिरों और संरचनाओं में लकड़ी या मजबूत बीम का उपयोग इसका उदाहरण है। उन्होंने गोवा, मुंबई, लखनऊ और नेपाल में चल रहे बांस-आधारित प्रोजेक्ट्स और जापान, अमेरिका की भूकंप-रोधी तकनीकों का भी उल्लेख किया।
आईआईडी की सह-सचिव शिखा सिंह ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का आर्किटेक्चर में उपयोग सेशन में आर्किटेक्ट साहिल तनवीर ने कहा कि एक नया और इनोवेटिव बदलाव है। उन्होंने बताया कि 3डी प्रिंटिंग और पैरामेट्रिक डिजाइन पहले से प्रचलित हैं, लेकिन एआई ने इसे और आगे बढ़ाया है, जिससे आर्किटेक्ट्स को सटीकता और रचनात्मकता मिलती है। हालाँकि, एआई के आने से जॉब लॉसेस की चिंता भी बढ़ी है। साहिल का मानना है कि टेक्नोलॉजी के साथ-साथ अनुभव और सोच का संतुलन ज़रूरी है। भविष्य में तकनीकी चुनौतियों से निपटने के लिए ज़िम्मेदार और योजनाबद्ध तरीके से एआई का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
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(Udaipur Kiran)
