RAJASTHAN

गर्भाशय फटने से जोखिम में आई आठ माह की गर्भवती महिला का हुआ उपचार

गर्भाशय फटने से जोखिम में आई आठ माह की गर्भवती महिला का हुआ उपचार

अजमेर, 28 नवम्बर (Udaipur Kiran) । गर्भाशय फटने से जोखिम में आई आठ माह की गर्भवती महिला की मित्तल हॉस्पिटल में सफल सर्जरी की गई। गर्भवती महिला को अत्यंत गंभीर अवस्था में अजमेर के मंडल रेलवे हॉस्पिटल से मित्तल हॉस्पिटल रेफर किया गया था। भर्ती होते समय पीड़िता बेसुध थी। उसका ब्लड प्रेशर नापने में नहीं आ रहा था। पल्स नहीं मिल रही थी। प्रारंभिक जांच में गर्भ में पल रहे बच्चे की धड़कन सुनाई नहीं देने तथा गर्भवती के पेट में अत्यधिक रक्तस्त्राव होने से पीड़िता के जीवन पर भारी संकट छाया हुआ था। इस जटिल और दुलर्भ अवस्था में मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की सीनियर गायनोकोलॉजिस्ट डॉ अदिति सिंह राव ने पीड़िता की बच्चेदानी को रिपेयर किए जाने का परिवारजनों की सहमति से निर्णय किया और वह सफल रहा। पीड़िता को 8 यूनिट फ्रेश फ्रोजन प्लाजमा(एफएफपी), 2 यूनिट पैक रेड सेल (पीआरबीसी), 2 यूनिट होल ब्लड चढ़ाया गया।

मित्तल हॉस्पिटल की गायनोकोलॉजिस्ट डॉ अदिति सिंह राव ने बताया कि आठ माह की गर्भवती महिला के अकारण ही गर्भाशय फटने का बहुत ही दुर्लभ मामला सामने आया। ऐसा सामान्य अवस्था में पहले नहीं देखा गया। गर्भवती महिला जिनके पहले कोई आपरेशन हुआ होता है या दर्द बढ़ाने के इंजेक्शन या दवाइयां चल रही होती है तो ऐसा हो सकता है। मौजूदा रोगी की ऐसी कोई हिस्ट्री भी नहीं है और ना ही उसे कोई चोट पहुंची थी ना ही उसे किसी तरह की काेई बीमारी थी फिर भी उसके गर्भावस्था के आठवें माह में गर्भाशय फट जाना दुर्लभ है। पीड़िता को जान का भारी जोखिम था। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि पीड़िता के खून जमने की क्षमता कम हो चुकी थी, मरीज डीआईसी में थी, पीड़िता मल्टी ऑर्गन फेलियर में थी। पीड़िता की किडनी व लीवर की जांच रिपोर्ट भी ठीक नहीं आ रही थी।

डॉ राव ने कहा कि इस मामले में रोगी को संकट से बाहर निकालने के दो ही विकल्प थे जिसमें एक गर्भाशय को ही बाहर निकाल दिए जाने का था, किन्तु इसमें जोखिम अधिक होने व रोगी की अवस्था को देखते हुए दूसरे विकल्प को चुना गया। वह गर्भाशय को रिपेयर करने का था। पीड़िता का रक्तस्त्राव बहुत अधिक मात्रा में होने को ध्यान में हुए उसे पहले दो यूनिट रक्त चढ़ाया गया। पीड़िता की बच्चेदानी सर्जरी कर रिपेयर कर दी गई साथ ही उसकी नसबंदी भी कर दी गई जिससे आगे चलकर गर्भवती होने का जोखिम ना रहे। पीड़िता के पति ने बताया कि वह पहले से दो पुत्रियों का पिता है करीब साढ़े चार साल के अंतराल में उसकी पत्नी तीसरी बार गर्भवती हुई थी।

पीड़िता ने बताया कि जिस दिन उसकी तबीयत अचानक खराब हुई तब उसके पति भी घर पर नहीं थे वह अकेली थी और दो छोटी बच्चियां थीं। पेट दर्द और बेसुधगी की गंभीर हालत में उसने फोन कर पड़ोसियों को सूचित किया उन्होंने उसे किसी तरह रेलवे हॉस्पिटल पहुंचाया था जहां से उसे एम्बुलेंस में मित्तल हॉस्पिटल भेज दिया गया।

—————

(Udaipur Kiran) / संतोष

Most Popular

To Top