
कोलकाता, 03 जून (Udaipur Kiran) । महानगर कोलकाता के रेड रोड पर इस साल भी ईद-उल-अज़हा की नमाज अदा की जाएगी। दशकों पुरानी इस परंपरा को कायम रखते हुए सेना ने सभी धर्म के सम्मान करने की अपनी रीति के मुताबिक बड़ा दिल दिखाया है और नमाज के लिए अपने प्रशिक्षण कार्यक्रम में बदलाव करने का फैसला लिया है।
रेड रोड, जो विजय दुर्ग स्थित पूर्वी कमान मुख्यालय के समीप स्थित एक संवेदनशील रक्षा संपत्ति है, वहां हर साल ईद के मौके पर लाखों लोग एक साथ नमाज अदा करते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस अवसर पर वहां मौजूद रहती हैं। भले ही ईद की नमाज मजहबी मंच है, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक बयानबाजी के लिए भी होता है, जिससे इसकी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं।
हालांकि, कुछ महीने पहले इसी स्थान पर कुछ हिंदू संगठनों ने भी धार्मिक आयोजन की अनुमति मांगी थी, जिसे सेना और अदालत दोनों ने अस्वीकार कर दिया था। लेकिन ईद की नमाज को देखते हुए सेना ने परंपरा का सम्मान करते हुए इस बार अपना कार्यक्रम दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया है।
एक सूत्र ने बताया कि भारतीय सेना सभी धर्मों के प्रति सम्मान की अपनी परंपरा के अनुरूप काम करती है। उन्होंने कहा कि रेड रोड पर नमाज की अनुमति इसी परंपरा के तहत दी गई है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि यह स्थान एक अत्यंत महत्वपूर्ण रणनीतिक क्षेत्र है, जहां सेना की गतिविधियां देश की सुरक्षा से जुड़ी होती हैं।
दरअसल, इस समय सेना ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अंतर्गत पाकिस्तान के खिलाफ सक्रिय है और देश के पूर्वोत्तर हिस्से में चीन व बांग्लादेश की मिलीभगत से उत्पन्न चुनौतियों से भी सतर्क है। ऐसे में किसी भी चुनौती का मुंह तोड़ जवाब देने के लिए सैन्य प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है और उसकी जगह को किसी अन्य आयोजन के लिए इस्तेमाल करना, ऐसे गंभीर समय में सेना की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करने की तरह है।
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सुरक्षा को दी जानी चाहिए प्राथमिकता
चाहे वह नमाज हो या कोई और आयोजन, उसे किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन सेना की ट्रेनिंग अपने ही निर्धारित स्थान पर हो सकती है।
इसके अलावा हाल के दिनों में पूर्वी कमान मुख्यालय के ऊपर कई संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय हैं।
एक वरिष्ठ रक्षा विशेषज्ञ ने यह स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा और सेना की तैयारियों को हर भारतीय नागरिक को प्राथमिकता देनी चाहिए। रेड रोड और आसपास का क्षेत्र सेना का इलाका है और उसका उपयोग मिलिट्री कार्यों के लिए ही होना चाहिए। फिर भी, संवेदनशीलता दिखाते हुए सेना ने इस बार ईद की नमाज के लिए अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया है।
उन्होंने बताया कि भारत का पूर्वी कमान मुख्यालय सुरक्षा रणनीति के तौर पर देश का एक महत्वपूर्ण केंद्र है और इसकी सुरक्षा से किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता।
रेड रोड पर नमाज की अनुमति के सेना के इस कदम को एक सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें परंपरा का सम्मान और राष्ट्रीय सुरक्षा – दोनों के बीच संतुलन स्थापित किया गया है।
दरअसल जिस तरह से यूक्रेन में रूस ने ड्रोन से हमला कर बड़ा नुकसान पहुंचाया है और पूरी दुनिया में अत्याधुनिक तकनीक के जरिए के जरिए सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश हो रही है, उसे देखते हुए हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह फौज और राष्ट्र की सुरक्षा को प्राथमिकता दें। इसके अलावा यह राज्य प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि इस तरह के आयोजनों के लिए सैन्य रणनीति वाली जगह से दूर किसी अन्य वैकल्पिक जगह की व्यवस्था करें।
यहां सदियों से खिलाफत कमेटी की ओर से नमाज का आयोजन होता रहा है। फिलहाल इसके मुखिया पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री जावेद अहमद खान हैं। उन्होंने बताया कि हालांकि सेना की अपनी व्यस्तताओं के कारण अनुमति को लेकर कुछ समस्या थी, लेकिन आयोजकों और रक्षा अधिकारियों के बीच विचार-विमर्श के जरिए मामले को सुलझाया गया है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
