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यूजीसी की  रैंकिंग में सुधार और छात्रों के ड्रॉपआउट को रोकने की दिशा में होगा प्रयास : प्रोफेसर ललित अवस्थी

मंडी, 09 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ललित अवस्थी ने कहा कि सरदार पटेल विश्वविद्यालय यूजीसी की रैंकिंग में शामिल होकर इस दिशा में सुधार तथा छात्रों के ड्रॉपआउट को रोकने केलिए क्रेडिट प्रणाली शुरू करने जा रहा है। आज पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की दूसरी अकादमिक परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय और छात्र हितों को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। जिसमें अकादमिक परिषद के समक्ष जो पहला मुददा उठाया गया, वो पीजीडीसीए पाठ्यक्रम में क्रेडिट प्रदान करने का था। इसके अलावा पीजीडीसीए छात्रों को उच्च अध्ययन के लिए प्रवेश में समस्या का सामना न करना पड़े इसलिए पीजीडीसीए के छात्रों के हित में दो सेमेस्टर के पीजीडीसीए पाठ्यक्रमों में 47 क्रेडिट देने का निर्णय लिया गया।

प्रो.अवस्थी ने बताया कि इसी सत्र से एसपीयू में इसी सत्र से कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग में पीएचडी शुरू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राज्यपाल हिमाचल प्रदेश शिव प्रताप शुक्ला ने विश्वविद्यालय की अपनी यात्रा के दौरान हमें विश्वविद्यालय की आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित किया था। इसी के चलते ए.सी. बैठक में स्व.वित्तपोषण मोड पर एकीकृत कानून कार्यक्रम और बैचलर ऑफ एजुकेशन शुरू करने का निर्णय लिया गया। जिससे विश्वविद्यालय को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा।

उन्होंने कहा कि कैरियर एडवांसमेंट स्कीम को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय संकाय काफी लंबे समय से मांग कर रहा है।

प्रो.अवस्थी ने बताया कि अकादमिक परिषद ने सैद्धांतिक रूप से यूजीसी द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार एसपीयू के संकाय के लिए कैरियर उन्नति योजना लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि एनईपी-2020 को पूरे भारत में लागू किया गया और कई विश्वविद्यालय एनईपी-2020 को लागू करने की प्रक्रिया में हैं। एसपीयू मंडी ने एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट भी लागू किया है, लेकिन वर्तमान क्रेडिट और प्रमोशन मानदंडों में विरोधाभास है। जिसके परिणामस्वरूप ड्रॉपआउट अनुपात बढ़ गया है।

प्रो.अवस्थी ने बताया कि छात्रों के ड्रॉपआउट को कम करने के लिए अकादमिक परिषद द्वारा यह निर्णय लिया गया कि प्रथम वर्ष और द्वितीय वर्ष के तीन पाठ्यक्रमों तक दोबारा परीक्षा देने वाले छात्रों को अगली उच्च कक्षा में जारी रखने की अनुमति दी जाएगी और इन तीन पाठ्यक्रमों को 5 वर्ष की समय सीमा में उत्तीर्ण करने की अनुमति दी जाएगी। इससे पहले छात्रों को तीन विषयों में दोबारा परीक्षा देने से पहले अगली उच्च कक्षा में पदोन्नत नहीं किया जाता था जो उच्च ड्रॉपआउट का कारण था। पहले उन्हें दोबारा परीक्षा देने के लिए दो मौके मिलते थे और अगर वे दो मौकों में असफल हो जाते थे तो उनके पूरे उत्तीर्ण विषय भी अमान्य मान लिए जाते थे। जिसके परिणामस्वरूप उनके दो साल बर्बाद हो जाते थे और पहले वर्ष में फिर से प्रवेश लेना पड़ता था। अब छात्रों के पास किये विषयों के क्रेडिट निरस्त नहीं होंगे । इस निर्णय से छात्रों में शिक्षा ग्रहण करने की निरंतरता बनी रहेगी। इस तरह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा कॉलेजों से छात्रों की ड्रॉपआउट दर को कम करने में मदद करेगा।

प्रो. अवस्थी ने बताया कि नवप्रवर्तन एवं रचनात्मकता के लिए शोध अत्यंत आवश्यक है। इसे ध्यान में रखते हुए, एसपीयू ने नई अनुसंधान नीति तैयार की है जो बाहरी वित्त पोषित अनुसंधान परियोजनाओं और पेटेंट को बढ़ाने को बढ़ावा देगी। प्रो.अवस्थी ने बताया कि विश्वविद्यालय संकाय के बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं के लिए बाह्य वित्त पोषित परियोजनाओं से समान अनुदान प्रदान करेगा और रुपए भी प्रदान करेगा। इसके लिए विश्वविद्यालय प्रत्येक संकाय को 20000 रूपए प्रत्येक पेटेंट के लिए जो उसके द्वारा दायर किया जाएगा दिए जाएंंगे । इसके अलावा कॉलेज शिक्षकों के लिए पीएचडी उम्मीदवारों की निगरानी को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी गई।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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