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अंतरिक्ष क्षेत्र में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के प्रयास

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (Udaipur Kiran) । केंद्र सरकार देश के अंतरिक्ष विजन 2047 में उल्लिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। ये प्रयास तकनीकी उन्नति, अंतरराष्ट्रीय भागीदारी, निजी खिलाड़ियों की भागीदारी बढ़ाने और अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों को आगे बढ़ाने पर केंद्रित हैं। भारत सरकार ने अंतरिक्ष गतिविधियों में भारतीय निजी क्षेत्र की भागीदारी की अनुमति देने के लिए 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार किए हैं। इन सुधारों के एक हिस्से के रूप में, सरकार ने विभिन्न संस्थाओं जैसे भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन और न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) की भूमिकाओं को चित्रित किया है। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

डॉ. सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार ने स्पेस विजन 2047 की घोषणा की है, जिसके तहत 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) की स्थापना और 2040 तक चंद्रमा पर किसी भारतीय के उतरने का लक्ष्य रखा गया है। इस दिशा में सरकार ने चार महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें 2028 तक गगनयान अनुवर्ती मिशन और बीएएस प्रथम मॉड्यूल की स्थापना, 2032 तक अगली पीढ़ी के सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) का विकास, 2027 तक चंद्रयान-4, चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद पृथ्वी पर वापस आने और चंद्रमा के नमूने एकत्र करने के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास और प्रदर्शन करना और 2028 तक वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम), शुक्र की सतह और उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव का अध्ययन करना। विभाग ने अंतरिक्ष विज्ञान अन्वेषण मिशनों के लिए एक रोडमैप तैयार किया है, जिसमें स्पेस विजन 2047 के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में विकास के कई डोमेन को एकीकृत किया गया है। रोडमैप के प्रमुख मील के पत्थर हैं- 2028 तक पहला मॉड्यूल भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का प्रक्षेपण, 2035 तक पूर्ण बीएएस की स्थापना और 2040 तक भारतीय चंद्रमा पर लैंडिंग।

उन्होंने बताया कि इसके लिए विभाग ने चार नई परियोजनाओं के बारे में सरकार से अनुमोदन प्राप्त किया है। ये हैं गगनयान अनुवर्ती मिशन और 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) के पहले मॉड्यूल की स्थापना, 2032 तक अगली पीढ़ी के सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एनजीएलवी) का विकास, 2027 तक चंद्रयान-4, चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने के बाद पृथ्वी पर वापस आने और चंद्रमा के नमूने एकत्र करने की तकनीकों को विकसित और प्रदर्शित करना, अंतरिक्ष क्षेत्र में गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) को अंतरिक्ष गतिविधियों की संपूर्ण मूल्य शृंखला में एंड-टू-एंड तरीके से भागीदारी करने में सक्षम बनाकर समान अवसर प्रदान करने वाली भारतीय अंतरिक्ष नीति, 2023 जारी की गई है। इसके अलावा अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में संशोधन किया गया, जिससे विभिन्न अंतरिक्ष क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा को बढ़ाया जा सके। अंतरिक्ष स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने आने वाले पांच वर्षों के लिए इन स्पेस के तत्वावधान में अंतरिक्ष क्षेत्र को समर्पित 1000 करोड़ रुपये के वेंचर कैपिटल फंड की स्थापना को भी मंजूरी दी है।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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