नैनीताल, 22 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । नैनीताल का तल्लीताल पोस्ट ऑफिस वर्तमान भवन में 1893 से यानी 131 वर्षों से संचालित है। 100 वर्ष से अधिक पुराने भवन विरासत महत्व के भवन माने जाते हैं और इनमें किसी तरह का संरचनात्मक बदलाव करने की भी अनुमति नहीं होती है। इसके बावजूद इसे हटाने की कोशिश हो रही है। इस संबंध में भाजपा नगर मंडल के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार काे जिलाधिकारी को ज्ञापन साैंपा है।
नगर में इससे पुराने विरासत महत्व के भवनों की बात करें तो तल्लीताल स्थित डाकघर का भवन नगर के सबसे पुराने भवनों में शामिल है। नगर के इससे पहले बने भवन गिने-चुने हैं। इनमें सबसे पहले बना पिलग्रिम हाउस (1841), सेंट जॉन्स इन विल्डरनेस चर्च (1846), मेथोडिस्ट चर्च व सीआरएसटी इंटर कालेज (1858), शेरवुड कालेज (1869), नैनीताल क्लब (1877) का मूल भवन (जो 1977 के अग्निकांड में जल गया), सेंट मेरी कान्वेंट (1878), सेंट जोसफ कालेज (1880), गर्नी हाउस (1881), नयना देवी मंदिर (1883), राजभवन (1897-1899), डीएसबी कालेज का पुराना भवन (1890), ग्रांड होटल (1892), रैमजे अस्पताल (1892), कैपिटॉल सिनेमा (1892), बिड़ला विद्या मंदिर (1885) आदि प्रमुख हैं। तल्लीताल डाकघर के पुराने चित्रों को देखकर भी समझा जा सकता है कि यह कितना पुराना है। अंग्रेजी दौर में इसके सामने झील होती थी। बाद में इस स्थान को पाट दिया गया और वर्तमान में इस स्थान पर सड़क व यहीं महात्मा गांधी की खड़ी मुद्रा में आदमकद प्रतिमा स्थित है, जिसे वर्तमान में हटाकर निकटवर्ती ताकुला गांव भेजने और यहां सड़क के बीचो-बीच महात्मा गांधी की नई चरखा कातती हुई बैठी हुई प्रतिमा लगाने की प्रशासन की योजना है।
इस संबंध में नैनीताल के सहायक डाक अधीक्षक प्रकाश पांडेय ने बताया कि 332 स्क्वायर यार्ड में 1893 में यह डाकघर मॉल रोड नैनीताल डाकघर के नाम से स्थापित किया गया था, तब जनपद में किसी अन्य डाकघर की जानकारी नहीं है। बाद में एक डाकघर हल्द्वानी में प्रधान डाकघर के नाम से स्थापित हुआ और नैनीताल के डाकघर को तल्लीताल में होने के कारण तल्लीताल डाकघर कहा गया। उन्होंने बताया कि इस डाकघर में नगर के मल्लीताल स्थित प्रधान डाकघर जितने ही खाते जुड़े हैं। प्रधान डाकघर के ऊंचाई पर होने के कारण तल्लीताल के डाकघर में अधिक उपभोक्ता सहजता व सुगमता से आते हैं। केवल केंद्रीय संचार मंत्रालय ही इसे कहीं और स्थानांतरित करने का निर्णय ले सकता है और ऐसा तभी किया जा सकता है जब इसके बराबर ही क्षेत्रफल और सुगम स्थान उपलब्ध हो। पूर्व में भी इसे स्थानांतरित करने के कई प्रयास हुए, किंतु इसे हटाने पर आम जनता का भी विरोध है।
(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी