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शिक्षा की व्यवस्था एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रियाः सुरेश सोनी

राजगढ़ में सरस्‍वती विद्या म‍ंदिर आवासीय विद्यालय का भूमि-पूजन

-आज की आवश्यकता है मूल्यबोधक और स्वावलंबी शिक्षा: सुरेश सोनी

-राजगढ़ में सरस्‍वती विद्या म‍ंदिर आवासीय विद्यालय का भूमि-पूजन सम्‍पन्‍न

भोपाल, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं पूर्व सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने कहा कि शिक्षा की व्यवस्था एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि जीवन स्थिर नहीं रहता। जीवन चलता रहता है, समय गतिशील है, सतयुग भी स्थिर नहीं रहा। 25 साल में दूसरी पीढ़ी आ जाती है। शिक्षा संस्कार का सातत्य रहा तो समाज में परिवर्तन आता है। पूर्व सह सरकार्यवाह सोनी गुरुवार को राजगढ़ में सरस्वती विद्या मन्दिर आवासीय विद्यालय के भूमि-पूजन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि साल 1952 में जब विद्या भारती ने विद्यालय प्रारम्भ किया तो पहला विचार भारत केन्द्रित शिक्षा था। प्राचीन शिक्षा में ऋषियों ने कहा कि ज्ञान केवल व्यक्ति के लिए नहीं सम्पूर्ण मानवता के साथ जड़ चेतन के लिए है। राजा भर्तृहरि ने वैराग्य शतक में कहा कि पंच महाभूत मेरा परिवार है। भूमि माता है, आकाश पिता है, जल वायु अग्नि मेरे संबंधी हैं। इसका तात्पर्य यह है कि सम्बन्धों के आधार पर अगर पंच महाभूत से हमारा जुड़ाव हो गया तो इसे नष्ट नहीं करेंगे, प्रदूषित नहीं करेंगे। भारत के अन्दर यह विचार दीर्घकाल से प्रारम्भ हुआ। विद्या भारती ने उसी विचार को शिक्षा का आधार बनाया। विद्यार्थी का पंचकोषात्मक विकास हो, इस आधार पर शिशु शिक्षा का मॉडल बनाया। उसी मॉडल के आधार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रारम्भ हुई। मैकाले पद्धति में सर्विस ओरियटेट शिक्षा है, जबकि मूल्यबोधक व स्वावलम्बी शिक्षा की आज आवश्यकता है। विद्यार्थी का बहुआयामी विकास हो यह अपेक्षा है।

सुरेश सोनी ने कहा कि राजगढ़ से प्रेम है, आठ वर्ष की उम्र में यहाँ आया था। हिन्दी भी यहीं आकर सीखी। संघ से सम्पर्क यहीं से आया। बड़े बांध बन गये हैं। रेल आ रही है। हरियाली बढ़ेगी, धन बढ़ेगा, किन्तु आपसी सौहार्द व धरती की उर्वरकता बनी रहे, इसकी चिन्ता करें। गांव का शरीर शहर का हो लैकिन आत्मा गांव की रहे। गांव अपना वैशिष्ट्य न खोए इसका विचार करना होगा।

उन्होंने कहा कि राजगढ़ की धरती पथरीली है, इसे पोषण देना होगा। उन्होंने कहा कि राजगढ़ का यह आवासीय विद्यालय शीघ्र तैयार होकर इस क्षेत्र की शिक्षा के लिए आदर्श बनेगा। जिसमें विकास भी होगा, विश्वास भी होगा। भवन भी होगा, भावना भी होगी। सम्बन्ध भी होगा, साधना भी होगी।

संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी, सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप, स्‍कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, विद्या भारती संगठन मंत्री मध्य भारत निखिलेश माहेश्वरी और भूमि दानदाता देवेंद्र जैन के आतिथ्य में गुरुवार को राजगढ़ में सरस्वती विद्या मन्दिर आवासीय विद्यालय का भूमि-पूजन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। अतिथियों ने सर्वप्रथम मन्त्रोच्चार के मध्य विधि-विधान से आवासीय विद्यालय का भूमि-पूजन किया। अतिथियों ने अपने उद्बोधन में सरस्वती शिशु मन्दिरों को संस्कारक्षम शिक्षा का माध्यम बताया।

कार्यक्रम में मध्य भारत के संगठन मंत्री निखिलेश माहेश्वरी ने विद्या भारती के देशव्यापी व मध्य भारत में चल रहे प्रकल्पों की जानकारी दी। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह ने कहा कि विद्या भारती के प्रकल्प विद्यार्थियों के साथ ही आमजन को स्वालम्बन से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। मंत्री चेतन काश्यप ने कहा कि राजगढ़ का यह आवासीय विद्यालय समाज की प्रेरणा का केन्द्र बनेगा।

कार्यक्रम में मछुआ कल्‍याण एवं मत्‍स्‍य विकास राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) नारायण सिंह पंवार, कौशल विकास एवं रोजगार राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल, सांसद रोड़मल नागर, संघ के प्रान्त कार्यवाह हेमन्त सेठिया, मध्य प्रदेश जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष मोहन नागर, विधायकगण मोहन शर्मा, अमर सिंह यादव, हजारीलाल दांगी सहित जिले के जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, विद्या भारती के कार्यकर्ता, दीदी-आचार्य व बड़ी संख्या में अभिभावक उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) तोमर

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