Madhya Pradesh

पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा से ईडी ने की जेल में पूछताछ, सहयोगी शरद से भी पूछे सवाल

गिरफ्तारी के बाद लोकायुक्त की हिरासत में सौरभ शर्मा
परिवहन विभाग पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसकी कार में मिली नगदी

भोपाल, 5 फरवरी (Udaipur Kiran) । करोड़ों की काली कमाई करने वाले मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके करीबियों के यहां 93 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति मिलने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार से पूछताछ प्रारंभ कर दी है। ईडी के अधिकारी दोपहर भोपाल के केंद्रीय जेल पहुंचे और वहां कोर्ट का ऑर्डर दिखाकर सौरभ शर्मा से उसके इनकम सोर्स, इनोवा कार में मिले 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नगदी के साथ प्रॉपर्टी के बारे में पूछताछ की। साथ ही ईडी के अधिकारियों ने सेंट्रल जेल में बंद उसके सहयोगी शरद जायसवाल से भी पूछताछ की। उधर, सौरभ से उसकी मां उमा शर्मा और चेतन सिंह गौर से उसके पिता प्रताप सिंह ने जेल में भेंट की।

दरअसल, सौरभ की संपत्तियां, कारोबार और नेता-अधिकारियों से रिश्ते को लेकर शरद को पूरी जानकारी रहती थी, इस कारण ईडी ने सबसे पहले उससे पूछताछ की। ईडी के अधिकारी दोपहर 12 जेल पहुंचे। अलग से बनाए गए केबिन में शरद से पूछताछ की गई। शरद के बाद ईडी ने सौरभ से पूछताछ की। पूछताछ में ईडी अधिकारियों ने सौरभ से जानना चाहा कि मेंडोरी के उसके करीबी के फार्म हाउस में इनोवा के इंदर मिले 52 किलोग्राम से अधिक सोना और करीब 11 करोड़ कैश कहां से कमाया। सौरभ ने दोनों संपत्तियां का खुद का होने से इनकार कर दिया है, लेकिन ईडी के अधिकारी यह मानने तो तैयार नहीं हैं कि वह संपत्ति सौरभ शर्मा की नहीं है।

दरअसल, लोकायुक्त पुलिस ने भी पूछताछ में कुछ हासिल नहीं कर पाई, लेकिन उसकी संपत्ति में जितने भी पार्टनर हैं। उसकी स्कूल और अन्य व्यवसाय में कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके नाम पर करोड़ों की संपत्ति है। लोकायुक्त पुलिस व अन्य जांच एजेंसियों को अब तक की जांच में पता चला है कि वह संपत्ति सौरभ शर्मा की बेनामी संपत्ति है, उसने ही रिश्तेदारों और करीबी कर्मचारियों के नाम पर संपत्ति में निवेश किया है। इस आधार पर लोकायुक्त पुलिस सौरभ शर्मा के कई रिश्तेदारों व कर्मचारियों को भी आरोपी बनाने की तैयारी में है।

सौरभ शर्मा से पूछताछ पूरी होने के बाद चेतन सिंह गौर से भी ईडी के अधिकारी पूछताछ करेंगे। ईडी की छापेमारी में भी बहुत से ऐसे दस्तावेज मिले हैं, जिनमें तीनों की पार्टनरशिप और बेनामी संपत्तियां होने के पुख्ता प्रमाण हैं। सौरभ से पूरी जानकारी लेने के बाद ईडी चेतन से काउंटर सवाल करने की तैयारी में है। जरूरत पड़ी तो तीनों का आमना-सामना भी कराया जा सकता है। इधर 52 किलो से अधिक सोना और 11 करोड़ नकदी बरामद करने वाले आयकर विभाग भी जांच का मेमोरंडम बना रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय की खुफिया राजस्व निदेशालय (डीआरआई) भी सोना और नकदी को लेकर पूछताछ कर सकते हैं।

केन्द्रीय जेल में सौरभ, शरद और चेतन को अलग-अलग बैरकों में रखा गया है। वजह ये है कि तीनों के बीच अब पहले जैसे रिश्ते नहीं रहे। लोकायुक्त की पूछताछ में शरद और चेतन ने साफ कह दिया है कि वे तो सिर्फ कर्मचारी हैं। तीनों ही आरोपियों को अलग-अलग सेल में रखा गया है। इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि जब वे सेल से बाहर निकलेंगे, तब भी उन पर सीसीटीवी कैमरे से पूरी निगरानी रहे। तीनों आरोपी किन लोगों से मिल रहे हैं, कौन उनसे मुलाकात के लिए आ रहा है, इस पर भी नजर रखी जाएगी।

बता दें कि पुलिस रिमांड पूरी होने पर लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार को तीनों आरोपितों को भोपाल में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने तीनों को 17 फरवरी तक लिए जेल भेज दिया है। कोर्ट से अनुमति लेकर ईडी जेल में पूछताछ कर रही है। पुलिस ने सात दिन में सौरभ, चेतन व शरद से लगभग 40 घंटे पूछताछ की, लेकिन सोना व नकदी का प्रश्न अनसुलझा ही रह गया।

लोकायुक्त पुलिस की पूछताछ में सौरभ ने कहा था कि सोना व नकदी से उसका कोई लेना-देना नहीं है। जिस कार में सोना व नकदी मिली थी, वह चेतन के नाम है, पर उसने पुलिस को बताया है कि कार का उपयोग सौरभ ही कर रहा था। ऐसे में अब पुलिस नार्को टेस्ट कराने के लिए भी विधिक सलाह ले रही है। स्वीकार नहीं करने के बाद भी पुलिस सोना व नकदी सौरभ की बेनामी संपत्ति में ही जोड़ने की तैयारी कर रही है।

(Udaipur Kiran) तोमर

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