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डीएमएफ घोटाले मामले में ई़डी ने रानू साहू और माया वारियर के करीबी ठेकेदार मनोज द्विवेदी को किया गिरफ्तार 

ई़डी ने ठेकेदार मनोज द्विवेदी को किया गिरफ्तार

रायपुर, 06 दिसंबर (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के डीएमएफ घोटाले मामले में शुक्रवार को ई़डी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) के वेंडर मनोज कुमार द्विवेदी को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार वेंडर निलंबित आईएएस रानू साहू और माया वारियर का करीबी बताया जाता है। अभी दोनों अधिकारी जेल में निरुद्ध हैं। ई़डी ने अपनी जांच रिपोर्ट में पाया था कि आईएएस रानू साहू और कुछ अन्य अधिकारियों ने अपने-अपने पद का गलत इस्तेमाल किया था।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार वेंडर मनोज कुमार द्विवेदी ने काम दिलाने के नाम पर दूसरे ठेकेदारों से करीब 11 से 12 करोड़ रुपयों की की वसूली की। इस राशि को माया वारियर के जरिए रानू साहू तक पहुंचाने का आरोप है। मनोज कुमार द्विवेदी खुद उदगम सेवा समिति के नाम से एनजीओ का संचालन करता है।

उल्लेखनीय है कि प्रवर्तन निदेशालय की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) ने डीएमएफ घोटाले में धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितता की गई है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया है।

रानू साहू जून 2021 से जून 2022 तक कोरबा में कलेक्टर रहीं । फरवरी 2023 तक वह रायगढ़ की कलेक्टर रहीं। जिला खनिज न्यास(डीएमएफ) की बड़ी राशि आदिवासी विकास विभाग को प्रदान की गई थी, जिसमें घोटाले का आरोप है। वर्ष 2021-22 में आदिवासी विकास विभाग में माया वारियर सहायक आयुक्त के पद पर पदस्थ थीं। आरोप है कि डीएमएफ के कार्यों की स्वीकृति के बदले 40 प्रतिशत कमीशन तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू के लिए माया वसूला करती थीं। डीएमएफ में अकेले कोरबा जिले में करीब 125 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का अनुमान है। जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि टेंडर की राशि का 40 प्रतिशत सरकारी अफसर को कमीशन के रूप में दिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के टेंडर पर 15 से 20 प्रतिशत अलग-अलग कमीशन सरकारी अधिकारियों ने लिया।

माया वारियर के कार्यकाल के दौरान छात्रावासों के मरम्मत और सामान खरीद के लिए डीएमएफ के करोड़ों रुपये के फंड का इस्तेमाल किया गया और इसकी मूल नस्ती ही कार्यालय से गायब कर दी गयी। बताया जा रहा है कि 6 करोड़ 62 लाख रुपये में करीब 3 करोड़ रुपये का विभाग ने कई ठेकेदारों को भुगतान भी कर दिया, लेकिन किस काम के एवज में कितना भुगतान किया गया, इससे जुड़े सारे दस्तावेज ही विभाग से गायब हो गए हैं।

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(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा

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