शक्ति का रूप मानी जाने वाली मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की तैयारियां पूरे असम में जोरों से चल रही है, जगह-जगह पंडाल सजे हुए हैं, जो किसी न किसी थीम पर आधारित हैं
गुवाहाटी, 29 सितंबर (Udaipur Kiran) । शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की तैयारियां पूरे असम में जोरों से चल रही हैं। जगह-जगह पंडाल सजे हुए हैं। जो किसी न किसी थीम पर आधारित हैं।
असम की राजधानी गुवाहाटी के मालीगांव कालीबाड़ी की दुर्गापूजा हर वर्ष एक विशेष आकर्षण के साथ आयोजित होती है, जो न केवल स्थानीय निवासियों बल्कि, दूर-दूर से आए दर्शकों का भी मन मोहने में सफल होती है। इस वर्ष के दुर्गापूजा आयोजक कमेटी ने एक अनूठा विषय चुना है- “बाल्य शिक्षा।” इस विषय का चयन कर काली मंदिर की पूजा समिति ने एक महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास किया है।
मंदिर के अध्यक्ष संजीत शिकदार और सचिव अमिताभ चौधरी ने बताया कि वर्तमान समय में शिक्षा प्रणाली के बारे में कई चर्चाएं हो रही हैं, खासकर मातृभाषा माध्यम के छात्रों में अंग्रेजी भाषा का भय एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसलिए, मालीगांव कालीबाड़ी की पूजा समिति ने “बाल्य शिक्षा” विषय को चुना है, जिसका केंद्र बिंदू मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा की आवश्यकता है।
उल्लेखनीय हैं कि बाल्य शिक्षा की महत्ता और मातृभाषा के माध्यम से शिक्षा के मजबूत आधार का निर्माण अत्यंत आवश्यक है। मातृभाषा एक बच्चे की पहली पहचान होती है और यह उसके मानसिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस विषय को ध्यान में रखते हुए, पूजा समिति ने प्रतिमा और पंडाल की सजावट के माध्यम से इस विचार को व्यक्त करने का निर्णय लिया है। पंडाल को एक प्राचीन विद्यालय के रूप में तैयार किया जाएगा, जिसमें विद्यालय की चित्रमाला, बच्चों के लिए किताबें, कापियां और अन्य शिक्षण सामग्री का उपयोग किया जाएगा।
इसके अलावा, पूजा समिति ने बच्चों के लिए एक चित्रांकन प्रतियोगिता का आयोजन किया है, जिसमें बच्चे अपनी कल्पना और रचनात्मकता के माध्यम से शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को उजागर कर सकेंगे। महिलाओं के लिए एक आरती प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है, जिसमें महिलाएं देवी दुर्गा की आरती प्रस्तुत करेंगी।
मालीगांव काली मंदिर की दुर्गापूजा इस वर्ष 74वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। अध्यक्ष संजीत शिकदार और सचिव अमिताभ चौधुरी ने बताया कि इस वर्ष का बजट 15 लाख रुपये है। पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध मूर्तिकार दीप्ति रेख भर पारंपरिक प्रतिमा बनाएंगे, जबकि पंडाल का निर्माण सुबल रॉय करेंगे। पंचमी को विशिष्ट व्यक्तियों द्वारा पंडाल का उद्घाटन किया जाएगा, जबकि अष्टमी को कुमारी पूजा का आयोजन किया जाएगा।
सुरक्षा के तहत, पूजा स्थल पर निजी सुरक्षा और सीसीटीवी कैमरों की व्यवस्था की जाएगी। इस वर्ष की दुर्गापूजा निश्चित रूप से दर्शकों का मन मोह लेगी और समाज में बाल्य शिक्षा के महत्व को उजागर करेगी।
(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर