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दिल्ली, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने कहा है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी
की ओर से सिंगल गर्ल चाइल्ड को अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम में दाखिला देने के लिए
कोटा देने का फैसला समानता के अधिकार का उल्लंघन है। सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने ये
दलील आज दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान दी। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की
बेंच मामले पर कल यानि 5 सितंबर को भी सुनवाई जारी रखेगी।
सेंट
स्टीफेंस कॉलेज ने हाल ही में सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे की 12 छात्राओं को नामांकन
देन से इनकार कर दिया था। सेंट स्टीफेंस कॉलेज की ओर से पेश वकील रोमी चाको ने कहा
कि सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 15(3), 15(5) और 30 का
उल्लंघन है।
सुनवाई
के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या इसके पहले सेंट स्टीफेंस कॉलेज ने सिंगल गर्ल
चाइल्ड कोटे की नीति का कभी विरोध किया है। तब चाको ने कहा कि कॉलेज ने इस नीति का
कभी विरोध तो नहीं किया है लेकिन वो ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं है क्योंकि ये साफ
नहीं है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी किस आधार पर इसे लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि
अगर एक सिंगल गर्ल चाइल्ड के दाखिले की बात हो कॉलेज को कोई समस्या नहीं है। लेकिन
दिल्ली यूनिवर्सिटी कह रही है कि अगर 13 प्रोग्राम हैं तो 13 सिंगल गर्ल चाइल्ड का
दाखिला करना होगा। ऐसा करना कानून सम्मत नहीं है।
सुनवाई
के दौरान दिल्ली यूनिवर्सिटी की ओर से पेश वकील मोहिंदर रुपल ने सेंट स्टीफेंस
कॉलेज की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि कॉलेज ने कभी भी इसके पहले इस नीति का
विरोध नहीं किया है। तब कोर्ट ने कहा कि कॉलेज को इस नीति का विरोध अलग से करना
चाहिए था। कॉलेज की दलील है कि सिंगल गर्ल चाइल्ड कोटे का कोई कानूनी आधार नहीं
है। और जब कानूनी आधार नहीं है तो इसके लागू कैसे किया जा सकता है।
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(Udaipur Kiran) / प्रभात मिश्रा