नाहन, 08 नवंबर (हिं.स.)। सिरमौर जिला के कई ऐसे इलाकों में जहां बर्फबारी और हिमपात अधिक होता है, सर्दियों में पशुओं के लिए चारे की भारी कमी हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए ग्रामीण इलाकों में इन दिनों सूखा घास काटने और उसे सुरक्षित रखने का काम जोरों पर है।
ग्रामीण क्षेत्रों में यह पारंपरिक तरीका अपनाया जाता है, जिसमें सूखा घास बंडल बनाकर पेड़ों पर विशेष रूप से लटका दिया जाता है। इस विधि से घास बारिश और बर्फ से खराब नहीं होती, और सर्दियों में इसे हरे चारे के साथ मिलाकर पशुओं के लिए उपयोग किया जाता है।
सिरमौर के कई इलाकों में आज भी वृक्षों और डंगों पर घास को इस तरह सुरक्षित रखने की पुरानी प्रथा जारी है। इस बारे में किसान दुर्गादास ने बताया कि सर्दियों में चारे की समस्या आम होती है और इस समय घास काटकर उसे पेड़ों पर बंडल रूप में लटका दिया जाता है ताकि यह सर्दियों में उपयोग के लायक रहे। इसके ऊपर पड़ने वाली वर्षा का पानी भी बहकर निकल जाता है जिससे घास अच्छी तरह से सुरक्षित रहती है।
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(Udaipur Kiran) / जितेंद्र ठाकुर