Delhi

दिल्ली में अतिक्रमण पर ड्रोन की रहेगी नजर

नई दिल्ली, 02 सितंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली में अवैध निर्माण और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने व जमीन से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए डीडीए, एमसीडी और सर्वे ऑफ इंडिया ने ड्रोन सर्वेक्षण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इससे अलग-अलग सरकारी एजेंसियों से संबंधित भूमि की स्थिति में अनिश्चितता की समस्या का समाधान होगा और ऐसी भूमि को अतिक्रमण से बचाया जा सकेगा। भविष्य में अनधिकृत निर्माणों पर रोक लगायी जा सकेगी।

उपराज्यपाल वीके सक्सेना (जो दिल्ली विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष भी हैं) की उपस्थिति में दिल्ली नगर निगम और सर्वे ऑफ इंडिया के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ। इस संबंध में उपराज्यपाल की अध्यक्षता में पहले भी कई समीक्षा बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें विभिन्न सरकारी भूमि की स्थिति के संबंध में पुख्ता जानकारी की कमी का सामना सभी एजेंसियों को करना पड़ा था। अगस्त 2024 में ही इस मुद्दे पर दो बैठकें हो चुकीं हैं, लेकिन स्पष्टता और वास्तविक जमीनी स्थिति की कमी के चलते कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका। कई दफा कोर्ट ने भी इस संबंध में सरकारी एजेंसियों को फटकार लगाई थी और सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का पता लगाने के लिए उन्नत तकनीकी समाधान अपनाने का निर्देश दिया था।

इस महीने राजनिवास में हुई बैठक में उपराज्यपाल को 50 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में किए गए ट्रायल रन के नतीजे दिखाए गए थे। यहां तक कि ”1×1” क्षेत्र की उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां भी ड्रोन द्वारा स्पष्ट रूप से मैप की गईं। उपराज्यपाल ने तब निर्देश दिया था कि सभी वरिष्ठ अधिकारियों को कार्यालय में अपने मॉनिटर पर ऐसी सटीक इमेजरी तक पहुंच प्राप्त हो। उपराज्यपाल ने रेखांकित किया था कि यह अधिकारियों को हर नाली, सड़क, अतिक्रमण और यहां तक कि जमीन पर कचरे की कल्पना करने और तदनुसार उपचारात्मक उपायों को लागू करने और निगरानी करने में सक्षम करेगा।

ड्रोन से अब किया जाने वाला सर्वेक्षण, पहचाने गए क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले ड्रोन के माध्यम से प्राप्त उच्च स्तर की डेटा सटीकता और उच्च रिज़ॉल्यूशन वाली छवियां अत्यधिक लाभ प्रदान करेगा। इससे संरचनाओं के सटीक सीमा निर्धारण में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि खसरा परतों की अधिक सटीक रूप से की निगरानी की जाती है। इस प्रकार प्राप्त हवाई फोटो के विविध उपयोग होंगे, जिसमें अतिक्रमणों की आसान पहचान, मानचित्रण और निगरानी शामिल है। अतिक्रमणों की पहचान करने के लिए डेटा उन्नयन मॉडल का उपयोग किया जाएगा। इससे अतिक्रमण पर वास्तविक समय डेटा प्राप्त करने में मदद मिलेगी, जिससे अधिकारियों को शुरुआती चरण में ही अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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