Uttrakhand

पेयजल स्रोतों से हो रही छेड़छाड़ जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा

प्राकृतिक जल स्राेताें के संरक्षण के लिए आयाेजित कार्यशाला में माैजूद प्रतिभागी।

रुद्रप्रयाग, 27 मार्च (Udaipur Kiran) । पीजी कॉलेज अगस्त्यमुनि में उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी (यूकोस्ट) एवं उत्तराखंड जल संस्थान देहरादून के सहयोग से दो दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई। इस मौके पर पानी के महत्व पर चर्चा करते हुए विशेषज्ञों ने समय-समय पर पानी की गुणवत्ता की जांच पर जोर दिया। प्राचार्य केसी दुतपुड़ी ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि जल ही जीवन है, यह कथावत जीवन का सबसे बड़ा सत्य है। वर्तमान समय में विकास के नाम पर पेयजल स्रोतों के साथ हो रही छेड़छाड़ से पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, जो जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन रहा है।

कार्यशाला के संयोजक डा. केपी चमोली ने कहा कि नदी, गाड-गदेरों और अन्य जलस्रोतों में पड़ रहा कूड़ा-कचरा शुभ नहीं है। जलसंस्थान के अपर सहायक अभियंता रेवत सिंह रात ने कहा कि ज्ञान का कोई अंत नहीं है। व्यक्ति को समस्त क्षेत्र का ज्ञान अर्जित करना चाहिए। उन्होंने व्यवहारिक जीवन में पानी की जांच के जानकारी को जरूरी बताया। उन्होंने जल के पीएच वेल्यू के बारे में भी बताया। यूकोस्ट को विशेषज्ञ डा. आशुतोष शर्मा ने कहा कि जल कोई उत्पाद नहीं है। बल्कि वह प्राकृतिक है और निरंतर उसके बहाव में परिवर्तन होता है। उन्होंने कहा कि जलस्रोतों का सूखना गंभीर समस्या है। इसलिए, जल संरक्षण के लिए सभी को मिलकर कार्य करना होगा। विशेषज्ञ मोहित किमोठी ने कहा कि जल की गुणवत्ता बदलती रही है, जिसकी मॉनीटरिंग जरूरी है। अंकित सिंह और अन्य ने जल की गुणवत्ता की पहचान कैसे करें, के बारे में जानकारी दी।

(Udaipur Kiran) / दीप्ति

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