
प्रयागराज,30 मई (Udaipur Kiran) । मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. मोहित जैन ने वर्षो से फाइलेरिया ग्रसित एक मरीज का एक अन्त्यंत दुर्लभ और जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक पूरा करने में कामयाबी पायी। इस दौरान 10.3 किलोग्राम का फाइलेरियल स्क्रोटम को बहार निकाला। यह जानकारी शुक्रवार को एसआरएन एवं मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डॉ. संतोष सिंह ने दी।
उन्होंने बताया कि स्वरूप रानी नेहरू चिकित्सालय, प्रयागराज में शनिवार को एक अत्यंत दुर्लभ और जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। वर्षों से फाइलेरिया से पीड़ित एक मरीज के अत्यधिक बढ़े हुए अंडकोषीय क्षेत्र (फाइलेरियल स्क्रोटम) को सफलतापूर्वक शल्य क्रिया द्वारा हटाया गया। इस दौरान निकाले गए लसीकाजन्य ऊतक का वजन लगभग 10.3 किलोग्राम था।
इस चुनौतीपूर्ण सर्जरी का नेतृत्व प्रख्यात प्लास्टिक सर्जन एवं मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. मोहित जैन ने किया। ऑपरेशन के दौरान यह भी देखने में आया कि मरीज के जननांग की आकृति “रामसे हॉर्न” जैसी दुर्लभ स्थिति में परिवर्तित हो चुकी थी, जिसे सफलतापूर्वक पुनर्निर्मित किया गया।
डॉ. मोहित जैन ने बताया कि “यह चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी। मरीज की शारीरिक स्थिति के साथ-साथ मानसिक पीड़ा को देखते हुए हमारी टीम ने बेहद संवेदनशीलता और तकनीकी दक्षता के साथ इस केस को संभाला। अब मरीज एक सामान्य और सम्मानजनक जीवन की ओर लौट सकेगा – यही हमारी सबसे बड़ी सफलता है।”
इस जटिल ऑपरेशन में डॉ. विनायक सिद्धार्थ, डॉ. यशार्थ शर्मा, डॉ. शिवम मित्तल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। एनेस्थीसिया टीम का कुशल नेतृत्व सहायक आचार्य डॉ. अनामिका पांडे ने किया। पूरी सर्जरी टीम ने मिलकर उच्च स्तरीय समन्वय के साथ कार्य किया।
गौरतलब है कि इस प्रकार का फाइलेरियल स्क्रोटल एलीफैन्टायसिस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर अवस्था है, जो आमतौर पर उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में लंबे समय तक अनुपचारित फाइलेरिया के कारण उत्पन्न होती है। फिलहाल मरीज की स्थिति स्थिर है और डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।
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(Udaipur Kiran) / रामबहादुर पाल
