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कृषि क्षेत्र में साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की आवश्यकता: डॉ. एमएल जाट

नई दिल्लीः समारोह में प्रतिष्ठित कृषि वैज्ञानिकों - डॉ. हिमांशु पाठक, महानिदेशक, आईसीआरआईएसएटी, और डॉ. एमएल जाट, सचिव, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) और महानिदेशक, आईसीएआर तथा अन्य गण्यमान्य

– कृषि विज्ञान और अनुसंधान में सहयोग बढ़ाने के लिए एनएएएस और टीएएएस ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली, 25 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (एनएएएस) और ट्रस्ट फॉर एडवांसमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (टीएएएस) ने आज नई दिल्ली में दो प्रख्यात कृषि वैज्ञानिकों डॉ. हिमांशु पाठक और डॉ. एमएल जाट को उनके संबंधित संस्थानों में प्रतिष्ठित नेतृत्व भूमिकाओं में उनकी नियुक्ति पर सम्मानित करने के लिए एक संवादात्मक बैठक और सम्मान समारोह का आयोजन किया। डॉ. पाठक आईसीआरआईएसएटी के महानिदेशक और डॉ. एमएल जाट कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग (डीएआरई) के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक हैं।

इस अवसर पर टीएएएस और एनएएएस के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया, जिसका उद्देश्य कृषि विज्ञान, अनुसंधान और नीति विकास में सहयोगी पहलों को बढ़ाना है।

कार्यक्रम के दौरान डॉ. जाट ने कृषि बिरादरी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमृत काल के सपने को साकार करने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कृषि में विज्ञान और साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाने के साथ ही किसानों के लिए स्थायी आजीविका बनाने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि किसानों के चेहरों पर मुस्कान लाने और अपने लक्ष्यों को हमारे राष्ट्र के लक्ष्यों के साथ जोड़ने के लिए यह साझा सहयोगी मिशन का समय है।

उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक मेगाट्रेंड के संदर्भ में उभरती कृषि मांगों का अध्ययन करना चाहिए। आंतरिक प्रणालियों और बाहरी क्षमताओं दोनों को मजबूत करना और उनका तालमेल सुनिश्चित करना एक लचीला कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कुंजी है। उन्होंने भारतीय कृषि की विविधता से उत्पन्न चुनौतियों और उन्हें संबोधित करने के लिए सुनियोजित, एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

डॉ. पाठक ने सामाजिक परिवर्तन में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर बात की। उन्होंने जोर दिया कि हर समाज को वैज्ञानिक सोच को अपनाना और बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान पर सलाहकार समूह (सीजीआईएआर) और एनएएएस के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की पिछली सफलताओं को स्वीकार करते हुए आशा व्यक्त की कि विशेष रूप से आईसीएआर, सीजीआईएआर और विशेष नवाचार दल (एसआईटी) के बीच निरंतर साझेदारी देश में कृषि अनुसंधान और नवाचार को और मजबूत करेगी।

टीएएएस के अध्यक्ष डॉ. आरएस परोदा ने कहा कि हमारी कृषि चुनौतियों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा, पोषण सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता शामिल है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को कम करके, ग्रे क्षेत्रों को ग्रीन स्पेस में बदलकर और पुनर्योजी कृषि को बढ़ावा देकर इनका समाधान किया जा सकता है।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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