Haryana

हिसार: मशरूम उत्पादन पर्यावरण अनुकूल,किसानों के लिए स्वरोजगार का बेहतर विकल्प : डॉ. मदन खीचड़

मुख्य अतिथि प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र वितरित करते हुए।

एचएयू में ‘मशरूम उत्पादन तकनीक’ पर प्रशिक्षण संपन्न

हिसार, 18 फरवरी (Udaipur Kiran) । हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण निदेशक

डॉ. एमएल खीचड़ ने कहा है कि मशरूम उत्पादन एक पर्यावरण अनुकूल प्रक्रिया होने के साथ-साथ

किसानों के लिए स्वरोजगार का एक बेहतर विकल्प है। इस व्यवसाय से भूमिहीन युवा भी कम

लागत में एक अच्छा रोजगार स्थापित कर सकते हैं। डॉ. एमएल खीचड़ मंगलवार को सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षा

संस्थान में ‘मशरूम उत्पादन तकनीक’ हुए तीन दिवसीय प्रशिक्षण के समापन अवसर पर प्रतिभागियों

को संबोधित कर रहे थे। प्रशिक्षण में हरियाणा व राजस्थान प्रांत के 74 युवक एवं युवतियों

ने भाग लिया।

उन्होंने कहा कि संस्थान में मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी पालन, केंचुआ खाद

उत्पादन, संरक्षित खेती, बेकरी, फल व सब्जी सहित विभिन्न प्रकार के मूल्य संवर्धित

उत्पाद तैयार करने के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। मशरूम के उत्पादन के साथ-साथ इसका

प्रसंस्करण करके या मूल्य संवर्धित उत्पाद तैयार करके भी अच्छी आमदनी प्राप्त की जा

सकती है। मुख्य अतिथि ने कार्यक्रम के अंत में प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र भी

वितरित किए।

विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल ने बताया कि मशरूम उत्पादन से खाद्य

सुरक्षा सुनिश्चित होती है क्योंकि यह एक संतुलित आहार है, जिसमें कई तरह के खनिज,

विटामिन, अमीनों एसीड्ज, प्रोटीन प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के साथ-साथ यह कई तरह

के औषधीय गुणों से भरपूर है।

संस्थान के सह निदेशक डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने बताया कि पिछले कई वर्षों से

मशरूम की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। उन्होंने बताया कि मशरूम का उपयोग

भोजन व औषधि के रूप में किया जाता है। प्रशिक्षण संयोजक डॉ. सतीश कुमार मेहता, डॉ.

ओमप्रकाश बिश्नोई, डॉ. विकास कम्बोज, डॉ. राकेश कुमार चुघ, डॉ. डीके शर्मा, डॉ. सरदूल

मान, डॉ. भूपेंद्र सिंह व डॉ. पवित्रा मोर्य पूनिया ने भी मशरूम उत्पादन तकनीक के बारे

में विस्तार से जानकारी दी।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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