Haryana

हिसार : शिक्षा नीति कल्याणकारी व पाठ्यक्रम रूचिकर होना जरूरी : डॉ. जितेंद्र भारद्वाज

कार्यक्रम को संबोधित करते डॉ. जितेंद्र भारद्वाज

भारतीय शिक्षण मंडल के 56वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम आयोजितहिसार, 19 अप्रैल (Udaipur Kiran) । भारतीय शिक्षण मंडल के 56वें स्थापना दिवस पर शिक्षण मंडल की हिसार इकाई की ओर से भारतीय परंपरा में शिक्षक की भूमिका विषय पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में भारतीय शिक्षण मंडल के हरियाणा प्रभारी डॉ. जितेंद्र भारद्वाज मुख्य वक्ता व प्रांत संपर्क सह-प्रमुख डॉ. नरेश कन्नोजिया उपस्थित रहे। डॉ. जितेंद्र भारद्वाज ने शनिवार काे कहा कि हकृवि शिक्षा का तीर्थ है। यहां के शिक्षकों एवं शोधार्थियों द्वारा किए जाने वाले शोध कार्यों से समूचा राष्ट्र लाभान्वित होता है। शिक्षा समाज के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करती है। शिक्षा नीति इस प्रकार की होनी चाहिए जिसमें सबका कल्याण हो, पाठ्यक्रम रुचिकर होने के साथ-साथ विद्यार्थियों का मोटिवेशन कर सकें। शिक्षकों के पढऩे के तरीके सरल और सुगम होने चाहिए। उन्होंने बताया कि शिक्षण मंडल द्वारा शिक्षक से गुरु, गुरु से ऋषि की ओर हम आगे कैसे बढ़े इसके लिए प्रयासरत है। किसी भी क्षेत्र की प्रगति शिक्षा पर निर्भर करती है। भारतीय शिक्षा पद्धति नैतिक मूल्यों पर आधारित है। शिक्षा का प्रचार-प्रसार करने में शिक्षक की अहम भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि प्राचीन ग्रंथों के अनुसार भारत विश्व गुरु रहा है। अपने चरित्र के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने के लिए विदेशों से लोग यहां आया करते थे। भारतीय शिक्षा पद्धति पर पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विशाल ही नहीं बल्कि विश्व में सर्वोपरि भी है और इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। भारतीय शिक्षण मंडल शिक्षा नीति के प्रचार- प्रसार, पाठ्यक्रम और पढ़ाने के तरीकों के बारे में शिक्षकों को जागरूक कर रहा है। भारतीय शिक्षण मंडल एक राष्ट्रीय, वैचारिक एवं शैक्षिक संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1969 में रामनवमी के दिन की गई थी। शिक्षण मंडल प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक संपूर्ण शिक्षा को भारतीय मूल्य पर आधारित, भारतीय संस्कृति की जड़ों से पोषित तथा भारत केंद्रित बनाने के लिए संगठन निरंतर कार्यरत है।कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. संदीप आर्य ने सभी का स्वागत करते हुए बताया कि मंडल का मुख्य उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को भारतीय चिंतन, संस्कृति और मूल्यों के अनुरूप बनाना है। शिक्षण मंडल केवल संस्थानिक परिवर्तन तक सीमित न रहकर राष्ट्र निर्माण कि दिशा में एक सांस्कृतिक शिक्षा क्रांति लाना है। कार्यक्रम का शुभारंभ ध्येय श्लोक व ध्येय वाक्य के साथ हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक और शोधार्थी उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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