
नई दिल्ली/पटना, 21 मार्च (Udaipur Kiran) । विश्व कविता दिवस के अवसर पर इंग्लिश स्पोकन ब्रिटिश लिंगुआ के संस्थापक डॉ बीरबल झा ने युवा कवियों को प्रेरित किया। ब्रिटिश लिंगुआ पटना के तत्वावधान में एक विशेष आयोजित कार्यक्रम में शिक्षाविद् एवं साहित्यकार डॉ बीरबल झा ने युवा कवियों को संबोधित किया।
बिहार के ‘लिविंग लिटरेरी लेजेंड डॉ झा ने कविता की शक्ति, इसकी गहराई और समाज पर इसके प्रभाव पर प्रकाश डाला। अपने प्रेरणादायी संबोधन में डॉ झा ने कहा, कविता शब्दों की मधुरता है, जो भावनाओं को एक शाश्वत संगीत में ढाल देती है। उन्होंने कहा कि यह हृदय और मस्तिष्क के बीच वह पुल है, जहां ज्ञान विस्मय से मिलता है, भावनाएं स्वतंत्र होती हैं। उन्होंने कविता को विचारों और संवेदनाओं को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम बताया, जो गद्य की सीमाओं से परे जाकर मनुष्य की अंतर्निहित भावनाओं को स्वर देती है।
कविता: सभ्यता का आधार
कविता के ऐतिहासिक महत्व पर चर्चा करते हुए डॉ. बीरबल झा ने कहा कि रामायण, गीता, महाभारत, बाइबिल और कुरान जैसे प्राचीन ग्रंथों में छंदों और श्लोकों का प्रयोग किया गया, जो ज्ञान, संस्कृति और परंपरा के संवाहक बने। उन्होंने कहा, कविता सभ्यता का बीज है, क्योंकि हर बड़े सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन की जड़ें शब्दों की लय में ही समाहित होती हैं।
युवा कवियों को डॉ झा की सीख
युवा और नवोदित कवियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा: एक कविता घायल हृदय को संजीवनी दे सकती है, सुप्त मस्तिष्क को जगा सकती है और सामाजिक परिवर्तन की चिंगारी सुलगा सकती है। कविता सत्य, न्याय और सौंदर्य की पक्षधर होती है और इसे वह अभिव्यक्ति देती है, जो तर्क से भी परे होती है। एक कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से समय को लांघकर आने वाली पीढ़ियों तक अपने विचारों की गूंज पहुंचा सकता है। उन्होंने कविता को सुनियोजित काव्यात्मक अभिव्यक्ति बताया, जो विशिष्ट शैली और लयबद्धता के माध्यम से विचारों और भावनाओं को संप्रेषित करती है।
इस कार्यक्रम का समापन संवादात्मक सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और कविता की दुनिया में सक्रिय योगदान देने का संकल्प लिया।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
