
रांची, 3 जून (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ आशा लकड़ा ने मंगलवार को सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल के समीप सिरमटोली-मेकान फ्लाईओवर के रैंप का निरीक्षण किया। इस मौके पर उन्होंने अधिकारियों ने बताया कि फ्लाईओवर के दो पिलर के बीच 12 मीटर का गैप है और रैंप की लंबाई 300 मीटर है। रैंप के आगे-पीछे काफी जगह है। डॉ आशा लकड़ा ने अधिकारियों को से नई तकनीक का उपयोग कर रैंप के नजदीक ऊंचाई बढ़ाने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने रैंप को हटाकर पिलर का निर्माण कराने और सरना स्थल के समीप ऊंचाई बढ़ाने को कहा। ताकि सरहुल की शोभायात्रा में शामिल आदिवासी समाज के लोगों को केंद्रीय सरना स्थल के परिसर तक पहुंचने में किसी प्रकार की परेशानी न हो।
अधिकारियों को नजर नहीं आया सरना स्थल
उन्होंने कहा कि फ्लाईओवर का डीपीआर बनाते समय जिन अधिकारियों ने स्थल जांच किया और शोध किया, उन्हें रैंप के आगे-पीछे क्या है, इस पर ध्यान देना चाहिए था। लेकिन उन्हें सिर्फ रेलवे लाइन का क्रांसिंग रैंप के आगे स्थित पेट्रोल पंप पर ही ध्यान गया। संबंधित अधिकारियों को आदिवासी समाज का केंद्रीय सरना स्थल नजर ही नहीं आया।
उन्होंने कहा कि केंद्रीय सरना स्थल आदिवासियों का सांस्कृतिक स्थल है। उसका संरक्षण करना चाहिए था।
सरहुल आदिवासी समाज का सबसे बड़ा त्योहार है। इस त्योहार में लाखों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग शोभायात्रा में शामिल होकर केंद्रीय सरना स्थल पहुंचते हैं।
डीपीआर बनाते समय संबंधित अधिकारियों ने केंद्रीय सरना स्थल के सामने रैंप का डिजाइन तैयार कर आादिवासियों के सांस्कृतिक धरोहर पर कुठाराघात किया है। उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोघ करते हुए कहा कि आादिवासी समाज के सांस्कृतिक धरोहर को बचाए। ताकि आदिवासियों की संस्कृतति का संरक्षण हो और वह सुरक्षित रहे। आदिवासी समाज के संरक्षण से ही आदिवासी राज्य की बहुलता संरक्षित होगी। मौके पर आयोग के कई सदस्य और अधिकारी मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
