Uttar Pradesh

डॉ. अंबेडकर के तीन मूलमंत्र—शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो आज भी प्रासंगिक : कुलपति प्रो. राजेश रंजन

गोष्ठी

“राजनेता ही नहीं, एक महान बौद्ध संत भी थे बाबा साहब” : प्रो. नक्षत्र राम प्रसाद

वाराणसी, 12 अप्रैल (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय बौद्ध विद्या संस्थान, चोगलमसर, लेह-लद्दाख के कुलपति प्रो. राजेश रंजन ने डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के अवसर पर कहा कि बाबा साहब का जीवन और उनका योगदान आज भी हमें सामाजिक समानता और न्याय के लिए प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने जातिवाद और सामाजिक अन्याय के विरुद्ध जीवन भर संघर्ष किया और भारतीय संविधान का निर्माण कर एक समतामूलक समाज की नींव रखी।

प्रो. रंजन सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के योग साधना केन्द्र में आयोजित डॉ. भीमराव अंबेडकर की उपादेयता विषयक गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अंबेडकर के तीन मूल मंत्र—“शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो”—आज भी समाज को दिशा दिखाते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि पालि ग्रंथों में वर्णित निर्वाण की अवधारणा समता आधारित समाज की स्थापना की ओर संकेत करती है, जहां जाति, जन्म या सामाजिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव न हो। बाबा साहब ने देश में सामाजिक चेतना और समरसता का एक नया अध्याय प्रारंभ किया।

गोष्ठी में मुख्य वक्ता नव नालंदा महाविहार के पूर्व कुलपति प्रो. नक्षत्र रामप्रसाद ने कहा कि बाबा साहब केवल एक राजनेता नहीं थे, बल्कि एक महान बौद्ध संत भी थे। उन्होंने शिक्षा, सभ्यता और संघर्ष को जीवन का प्रमुख आधार बनाकर समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि अंबेडकर का शैक्षिक जीवन समाज के अभिजात्य वर्ग की सहायता से समृद्ध हुआ, जिससे वे समावेशी समाज की परिकल्पना को साकार कर सके।

पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. हर प्रसाद दीक्षित ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन और कार्य हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने बौद्ध धर्म को उसकी सर्वसमावेशी सोच और सामाजिक न्याय की भावना से प्रभावित होकर अपनाया।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का जीवन-दर्शन सामाजिक समरसता और समानता का प्रतीक है। वे स्वयं एक विचारधारा हैं, जिसे अपनाकर हम एक बेहतर समाज की ओर बढ़ सकते हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन, माल्यार्पण और मंगलाचरण के साथ हुई।

स्वागत भाषण संकाय प्रमुख प्रो. रमेश प्रसाद ने दिया।

गोष्ठी का संचालन डॉ. रविशंकर पांडेय ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मधुसूदन मिश्र ने प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर प्रो. हरिशंकर पांडेय, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, प्रो. विद्या कुमारी, डॉ. इन्द्र भूषण झा, मधुसूदन मिश्र सहित कई प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी

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