जयपुर, 14 सितंबर (Udaipur Kiran) । शहर की फैमिली कोर्ट-दो ने पत्नी की ओर से पति पर शक करने, उसके माता-पिता से अलग रहने के लिए दबाव डालने व उनका अपमान करने को मानसिक क्रूरता मानते हुए दोनों की साढे ग्यारह साल पुरानी शादी को समाप्त कर दिया है। अदालत ने पति की ओर से तलाक लेने के प्रार्थना पत्र को मंजूर करते हुए कहा कि पत्नी का पति पर बिना किसी आधार के अवैध संबंधों का आरोप लगाना भी मानसिक क्रूरता ही है। पति यह साबित करने में सफल रहा है कि पत्नी उसके घर वालों से बिना किसी कारण झगडा करती थी, उसकी मां को गालियां देती थी और अनजान लोगों से फोन पर बात करती थी। ये सभी मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। वहीं पत्नी ने कभी भी शादी बचाने का प्रयास नहीं किया और उसने पति पर जो भी आरोप लगाए हैं, उन्हें वह साबित करने में सफल नहीं रही है। ऐसे में 17 जनवरी 2013 को हुए विवाह को विच्छेद किया जाना उचित होगा।
मामले के अनुसार पति ने मानसिक क्रूरता के आधार पर पत्नी से तलाक लेने के लिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया था। प्रार्थना में कहा गया कि शादी के बाद से ही पत्नी उस पर माता-पिता से अलग होने का दबाव डालने लगी। इस दौरान ही सितंबर 2014 में उनके एक बेटा हुआ, लेकिन फिर भी हालात नहीं सुधरे और वह उसके माता-पिता को बच्चे से हाथ भी नहीं लगाने देती। वह प्रार्थी पर शक भी करती थी और उसका फोन भी चेक करती थी। पूरे दिन लगातार अनजान लोगों से बात करती थी और पूछने पर कोई जवाब नहीं देती। वहीं बातें नहीं मानने पर सुसाइड की भी धमकी देती थी। इसलिए उसे तलाक दिलवाया जाए। जवाब में पत्नी ने कहा कि उस पर लगाए सभी आरोप निराधार है और ससुराल वालों का व्यवहार उसके प्रति खराब रहा है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर पति के पक्ष में फैसला देते हुए तलाक की अर्जी मंजूर की है।
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(Udaipur Kiran)