Bihar

पश्चिम चंपारण में घर-घर होगी कुष्ठ रोगियों की खोज

पश्चिम चंपारण में घर-घर होगी कुष्ठ रोगियों की खोज   - चमड़ी पर दाग और सुन्नापन हो तो यह हो सकता है कुष्ठ  - वर्ष 2030 तक कुष्ठ रोग का जड़ से सफाया करने का लक्ष्य  - सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कुष्ठ रोग का होता है इलाज   बेतिया, 20 सितंबर   राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत जिले के सभी 18 प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों पर 19 सितंबर से आगामी 02 अक्टूबर तक आशा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से कुष्ठ रोगियों की खोज की  जाएगी। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने बताया कि अभियान के बेहतर संचालन को लेकर सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य प्रबंधक, स्वास्थ्य उत्प्रेरक एवं पारा मेडिकल वर्कर को अभियान को लेकर पत्र भेजा गया है। आशाओं को भी निर्देश दिया गया है कि घर-घर रोगियों की खोज करें। उन्होंने बताया कि सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति ने गाइडलाइंस जारी की है।  जिले में हैं 491 कुष्ठ रोगी:  डॉ दीपक कुमार ने बताया कि जिले में अभी 491 कुष्ठ रोगी हैं जिनका इलाज स्वास्थ्य केंद्रों पर चल रहा है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ का इलाज संभव है। इसके लिए एमडीटी की टैबलेट ली जाती है। रोगियों को नियमित दवा सेवन की सलाह दी जाती है। कुष्ठ रोग के लक्षण में चमड़ी पर चमड़ी के रंग से फीके या बदरंग दाग धब्बे, जिसमें सुन्नपन हो यानी जिन दागों में खुजली, जलन या चुभन न हो। चेहरे पर लाल, तामिया, तेलिया चमक हो। तंत्रिकाओं में सूजन, मोटापा, हाथ-पैरों में सुन्नपन और सूखापन हो। यह भी कुष्ठ की पहचान है।  कुष्ठ रोगियों की पहचान गोपनीय रखी जाती है:   जांच में कुष्ठ की पुष्टि होने के बाद कुष्ठ रोगियों की पहचान गोपनीय रखी जाती है। दवा का सेवन नहीं करने वाले मरीज अपंगता का शिकार हो सकते हैं। कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए जिले में सुपरवाइजर के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की टीम को भी लगाया गया है। डॉ एनके प्रसाद, जीएमओ लेप्रोसी कंट्रोल यूनिट एवं डॉ दीपक कुमार ने बताया कि कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्ति यदि किसी के साथ लंबे समय तक रहता है और वह दूसरे का तौलिया, चादर आदि इस्तेमाल करता है, तो इससे रोग फैलने का खतरा रहता है। श्रमिक वर्ग में इस तरह की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे में श्रमिकों को इस बात का ध्यान रखना होगा। उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता और फैसिलिटेटर अपने पोषक क्षेत्र के सभी घरों में जाकर संभावित लोगों की पहचान कर जांच के लिए पीएचसी या सदर अस्पताल भेजेंगी। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रति कुष्ठ रोगी की खोज पर 200 रुपया प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।   कुष्ठ रोग के शुरुआती लक्षण:  -शरीर का कोई भी हिस्सा सुन्न होना -स्पर्श महसूस न होना -सूई या पिन चुभने जैसा महसूस होना -वजन कम होना -शरीर पर फोड़े या लाल व सफेद चकत्ते बनना, जोड़ में दर्द होना -बाल झड़ना, त्वचा पर पीले रंग के घाव या धब्बे बनना आदि।

बेतिया, 20 सितंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए अभियान की शुरुआत की गई है। इसके तहत जिले के सभी 18 प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों पर 19 सितंबर से आगामी 02 अक्टूबर तक आशा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों के सहयोग से कुष्ठ रोगियों की खोज की जाएगी।

अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ रमेश चंद्रा ने बताया कि अभियान के बेहतर संचालन को लेकर सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य प्रबंधक, स्वास्थ्य उत्प्रेरक एवं पारा मेडिकल वर्कर को अभियान को लेकर पत्र भेजा गया है। आशाओं को भी निर्देश दिया गया है कि घर-घर रोगियों की खोज करें। उन्होंने बताया कि सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति ने गाइडलाइंस जारी की है।

डॉ दीपक कुमार ने बताया कि जिले में अभी 491 कुष्ठ रोगी हैं जिनका इलाज स्वास्थ्य केंद्रों पर चल रहा है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ का इलाज संभव है। इसके लिए एमडीटी की टैबलेट ली जाती है। रोगियों को नियमित दवा सेवन की सलाह दी जाती है। कुष्ठ रोग के लक्षण में चमड़ी पर चमड़ी के रंग से फीके या बदरंग दाग धब्बे, जिसमें सुन्नपन हो यानी जिन दागों में खुजली, जलन या चुभन न हो। चेहरे पर लाल, तामिया, तेलिया चमक हो। तंत्रिकाओं में सूजन, मोटापा, हाथ-पैरों में सुन्नपन और सूखापन हो। यह भी कुष्ठ की पहचान है।

जांच में कुष्ठ की पुष्टि होने के बाद कुष्ठ रोगियों की पहचान गोपनीय रखी जाती है। दवा का सेवन नहीं करने वाले मरीज अपंगता का शिकार हो सकते हैं। कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए जिले में सुपरवाइजर के साथ स्वास्थ्य कर्मियों की टीम को भी लगाया गया है। डॉ एनके प्रसाद, जीएमओ लेप्रोसी कंट्रोल यूनिट एवं डॉ दीपक कुमार ने बताया कि कुष्ठ रोग से ग्रस्त व्यक्ति यदि किसी के साथ लंबे समय तक रहता है और वह दूसरे का तौलिया, चादर आदि इस्तेमाल करता है, तो इससे रोग फैलने का खतरा रहता है। श्रमिक वर्ग में इस तरह की संभावना ज्यादा रहती है। ऐसे में श्रमिकों को इस बात का ध्यान रखना होगा।

उन्होंने बताया कि आशा कार्यकर्ता और फैसिलिटेटर अपने पोषक क्षेत्र के सभी घरों में जाकर संभावित लोगों की पहचान कर जांच के लिए पीएचसी या सदर अस्पताल भेजेंगी। इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रति कुष्ठ रोगी की खोज पर 200 रुपया प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा।

(Udaipur Kiran) / अमानुल हक

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