Jammu & Kashmir

डोगरी मानता दिवस मनाया, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया

डोगरी मानता दिवस मनाया, साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया

जम्मू, 19 दिसंबर (Udaipur Kiran) । डोगरी संस्था, जम्मू ने कुंवर वियोगी ऑडिटोरियम, डोगरी भवन, कर्ण नगर जम्मू में आयोजित एक सादे लेकिन प्रभावशाली समारोह में ‘डोगरी मानता दिन ’ मनाया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू-कश्मीर सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के आयुक्त सचिव संजीव वर्मा (आईएएस) उपस्थित थे।

इस अवसर पर मातृभाषा डोगरी और डुग्गर प्रदेश की सांस्कृतिक परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले साहित्यकारों और कलाकारों को वर्ष 2023-24 के दौरान साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं के साथ सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सम्मानित की जाने वाली प्रमुख हस्तियों में सुमन शर्मा, दर्शन दर्शी और शिव दोबलिया (सभी साहित्य के लिए), पं. नारायण प्रसाद (शास्त्रीय नृत्य), सुमन गुप्ता (पेंटिंग), माधवी शर्मा (मीडिया), अनिल टिक्कू (रंगमंच) शामिल थे। साहित्य अकादमी के मुख्य पुरस्कार के लिए विजय वर्मा, बाल साहित्य पुरस्कार के लिए बिशन सिंह ‘दर्दी’, अनुवाद पुरस्कार के लिए डॉ. सुषमा रानी और हीना चौधरी को युवा पुरस्कार के लिए सम्मानित किया गया। उन्हें शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। प्रोमिला मन्हास ने डोगरी साहित्यकारों और कलाकारों के पक्ष में प्रशंसा पत्र पढ़े, जबकि राजेश्वर सिंह ‘राजू’ ने साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेताओं के पक्ष में प्रशंसा पत्र पढ़े।

इससे पहले प्रो. ललित मगोत्रा, प्रधान डोगरी संस्था जम्मू ​​ने मुख्य अतिथि, पुरस्कार तथा सम्मान प्राप्त करने वालों और अन्य सभी उपस्थित सम्मानित व्यक्तियों का स्वागत करते हुए कहा कि डोगरी संस्था जम्मू, एक अग्रणी साहित्यिक संगठन है, जो 1944 में अपने गठन के बाद से हमेशा मातृभाषा डोगरी के संरक्षण और प्रचार के लिए एक मजबूत आवाज के रूप में काम कर रही है। उन्होंने मातृभाषा डोगरी को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए दशकों के संघर्ष को याद किया और कहा कि इससे निस्संदेह संस्थाओं के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर भी अधिक जिम्मेदारी आई है क्योंकि अपने अस्तित्व के लिए काम करना हमारा साझा उद्देश्य है। इस दिन को पूरे क्षेत्र में डोगरी मान्ता दिन के रूप में मनाया जाता है, इसे पूरे देश और यहां तक ​​कि विदेशों में भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए जहां-जहां भी डोगरे रहते हैं ताकि हमारी जड़ों के प्रति जुड़ाव की भावना हमें अपनी मातृभाषा के प्रचार-प्रसार में योगदान देने के लिए प्रेरित करे। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में जब दुनिया भर में मातृभाषाएं अस्तित्व के लिए संकट का सामना कर रही हैं, नई शिक्षा नीति (एनईपी) मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के लिए एक रचनात्मक कदम है, जिससे इसके अस्तित्व को बचाने और मातृभाषा के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने में मदद मिलेगी ।

मुख्य अतिथि संजीव वर्मा (आईएएस) ने समारोह में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि डोगरी संस्था मातृभाषा डोगरी और क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में सराहनीय प्रयास कर रही है। हमें यह महसूस करना होगा कि हमारी मातृभाषा और सांस्कृतिक परंपराएं एक समुदाय के रूप में हमारे अस्तित्व का आधार हैं और हमें इसे संरक्षित करना होगा – किसी भी कीमत पर। हम गर्वित डोगरा हैं और हमें अपनी भाषा के साथ-साथ परंपराओं पर भी गर्व महसूस करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि सभी समय की आवश्यकता को समझेंगे और साझा उद्देश्य के लिए योगदान देंगे। उनके भाषण का मुख्य आकर्षण प्राचीन वैदिक भाषा और शास्त्रीय डोगरी भाषा के बीच घनिष्ठ संबंध पर दिया गया ज़ोर था। उनका दृढ़ मत था कि डोगरी वैदिक भाषा के सबसे करीब है। उन्होंने डोगरी और वैदिक भाषा के बीच समानता के कई उदाहरण पेश करके अपने विचारों की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि हर डोगरा को इस महान विरासत पर गर्व होना चाहिए और इस दिशा में आगे शोध कार्य किया जाना चाहिए।

पवन वर्मा द्वारा संचालित कार्यक्रम में सभी क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया। समारोह का समापन डोगरी संस्था जम्मू के महामंत्री राजेश्वर सिंह ‘राजू’ के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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