
जयपुर, 3 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में लंबित प्रकरणों पर चिंता जताई है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि सभी मिलकर यह प्रयास करें कि जहां तक संभव हो, किसी भी नमूने की रिपोर्ट एक साल से ज्यादा समय से लंबित ना रहे। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि 12 साल से छोटे बच्चों से जुड़े अपराधों में डीएनए रिपोर्ट दस दिन में जारी की जाए। जबकि पॉक्सो से जुड़े अन्य मामलों में रिपोर्ट तीन माह के भीतर दी जाए। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आनंद शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हम दुष्कर्म, अज्ञात शव और हत्या के मामले में भी नमूने जांचने के संबंध में समय सीमा तय करना चाहते हैं। अदालत संसाधनों के उन्नत होने और पदों के भरने से संतुष्ट होने के बाद इस संबंध में आदेश पारित करेगी। इसके साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई 2 जुलाई को तय करते हुए मामले में की जाने वाली कार्रवाई को लेकर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता भरत व्यास ने अदालत को बताया कि नमूनों की जांच समय पर हो, इसके लिए अधिकारियों की ओर से एक्शन प्लान बनाए एक्शन प्लान का अदालत में पेश किया जाएगा। एएजी ने अदालत को कहा कि सहायक निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिकों की अर्जेंट टेपरेरी आधार पर भर्ती के लिए वित्त विभाग ने सहमति दे दी है। इन पदों को भरने के बाद 43 और अधिकारी प्रयोगशालाओं को मिल जाएंगे। इसके अलावा दो सहायक निदेशकों की नियुक्ति कर उन्हें कोटा व भरतपुर प्रयोगशाला में नियुक्त किया गया है। एएजी ने अदालत को यह भी बताया कि भरतपुर में क्षेत्रीय प्रयोगशाला का निर्माण कार्य शुरू हो गया है और आगामी अक्टूबर माह में निर्माण पूरा होने की संभावना है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार को दिशा- निर्देश जारी किए हैं।
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(Udaipur Kiran)
