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पावर कारपोरेशन के अधिशासी अभियंता की बर्खास्तगी का आदेश रद्द

Allahabad High court

-तीन माह में नियमानुसार जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश

प्रयागराज, 21 जुलाई (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पावर कारपोरेशन के अधिशासी अभियंता संजय शर्मा की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बर्खास्तगी का आदेश जारी करते समय जांच अधिकारी ने जांच के निर्धारित मानकों का पालन नहीं किया है। कोर्ट ने विभाग को 3 माह में नए सिरे से नियमानुसार जांच पूरी करने का निर्देश दिया है। इस दौरान अधिशासी अभियंता अपने पद पर काम करते रहेंगे तथा उनका नियमानुसार वेतन भुगतान का भी निर्देश दिया है।

गौतमबुद्ध नगर के संजय शर्मा को 05 अक्टूबर 2019 को शिकायत मिलने के बाद निलंबित कर दिया गया था। उनके खिलाफ नियमित जांच शुरू की गई। प्रारंभिक जांच के बाद तीन सदस्य जांच कमेटी गठित की गई। विभागीय जांच कमेटी ने याची को चार्जशीट जारी किया। जिस पर याची ने अपना प्रति उत्तर दाखिल किया। उसके जवाब से असंतुष्ट होते हुए जांच कमेटी ने याची को सेवा से बर्खास्त कर दिया। इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक खरे का कहना था कि याची को जारी चार्जशीट को सिर्फ मैनेजिंग डायरेक्टर द्वारा अनुमोदित किया गया है। जबकि नियुक्ति और अनुशासनात्मक प्राधिकारी अध्यक्ष होते हैं। अध्यक्ष के अनुमोदन के बाद ही चार्जशीट जारी की जा सकती है। इस प्रक्रिया के अभाव में की गई कार्रवाई अवैधानिक है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने यह भी कहा कि याची का मौखिक बयान दर्ज करने के सिवाय कोई अन्य जांच नहीं की गई। जांच अधिकारी ने विभागीय गवाहों के बयान नहीं लिए। प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट को सत्यापित किए बिना जांच आगे बढ़ा दी, जो कि अवैधानिक है तथा बर्खास्त का आदेश रद्द किए जाने योग्य है।

पॉवर कारपोरेशन के अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एमडी को अनुशासनात्मक कार्यवाही के मामले में अध्यक्ष की शक्तियां प्रदान की गई है। लिहाजा एमडी द्वारा जारी चार्जशीट स्वीकार करने योग्य है। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि अधिकारी ने विभागीय जांच नियम अनुसार नहीं की है। इसलिए विभागीय कार्रवाई और बर्खास्तगी का आदेश रद्द होने योग्य है। कोर्ट ने कहा कि याची का निलम्बन आदेश पहले ही हटाया जा चुका है और वह बर्खास्त होने से पूर्व अपने पद पर काम कर रहा था। उसे काम करने दिया जाए तथा नियमानुसार वेतन का भुगतान किया जाए। इस दौरान तीन माह के भीतर नए सिरे से नियमानुसार विभागीय जांच पूरी की जाए।

(Udaipur Kiran)

(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे / आकाश कुमार राय

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