RAJASTHAN

विधान सभा में लोकायुक्त राजस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन पर चर्चा

विधानसभा

जयपुर, 31 जुलाई (Udaipur Kiran) । संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने बुधवार को राज्य विधान सभा में कहा कि लोकायुक्त द्वारा प्रकरणों का निरन्तर निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ निस्तारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा लोकायुक्त संस्था को सशक्त बनाने के लिए प्रयास किये जाएंगे।

संसदीय कार्य मंत्री लोकायुक्त राजस्थान के 35वें वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष 2023 पर सदन में हुई चर्चा के बाद जवाब दे रहे थे। उन्होंने बताया कि राजकीय संस्थाओं व सार्वजनिक उपक्रमों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए वर्ष 1973 में राज्य में लोकायुक्त संस्था की स्थापना की गई। यह प्राप्त शिकायत की जांच कर अपना निष्कर्ष राज्यपाल को प्रस्तुत करती है। तत्पश्चात् राज्यपाल द्वारा प्रतिवेदन मुख्यमंत्री को व मुख्यमंत्री द्वारा विभाग को भेजा जाता है। विभाग अपने स्तर पर परीक्षण के बाद सम्बन्धित लोक सेवक के विरूद्ध कार्यवाही का निर्णय करता है। उन्होंने कहा कि पंचायतीराज एवं नगरीय निकायों के जनप्रतिनिधियों के विरूद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों के सम्बन्ध में पहले से ही सम्बन्धित अधिनियमों में प्रावधान है, इसलिए इन्हें लोकायुक्त के दायरे में लाने की आवश्यकता नहीं लगती है।

संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि शिकायतों की संख्या घटने अथवा बढ़ने का भ्रष्टाचार से सीधे तौर पर सम्बन्ध नहीं है। उन्होंने बताया कि शिकायत के साथ शपथ पत्र देने व शिकायत झूठी पाये जाने पर कार्यवाही के प्रावधान से शिकायतों की संख्या में कमी आई है। पटेल ने बताया कि वर्तमान राज्य सरकार के कार्यकाल में किसी भी मंत्री अथवा विधायक के विरूद्ध शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी, 2023 से 31 दिसम्बर, 2023 तक लोकायुक्त सचिवालय को कुल 4041 शिकायतें प्राप्त हुई। जबकि, 1 जनवरी, 2024 के बाद महज 951 नये केस आए। इस दौरान 944 शिकायतों का निस्तारण किया गया। उन्होंने बताया कि 1 जनवरी, 2023 को लोकायुक्त सचिवालय में कुल 3936 परिवाद थे, जो वर्ष के अंत तक बढ़कर 5999 हो गए। इनमें से महज 1958 का ही निस्तारण हो सका।

संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि वर्तमान में लोकायुक्त सचिवालय में कुल 99 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 79 पद भरे हुए हैं व कामकाज सुचारू रूप से चल रहा है। अतिरिक्त स्टाफ से लिए प्रस्ताव प्राप्त होने पर इस सम्बन्ध में उचित निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि लोकायुक्त सचिवालय को तकनीकी स्टाफ उपलब्ध करवाने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। हालांकि, लोकायुक्त को स्वयं का पुलिस बल उपलब्ध करवाने की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि संस्था के पुनर्गठन की स्वीकृति के लिए कार्यवाही विचाराधीन है, जो जल्दी ही प्राप्त हो जाएगी।

(Udaipur Kiran) / संदीप

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