
-अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी शिक्षा केंद्र का 76वां दीक्षांत समारोह
कोलकाता, 23 मई (Udaipur Kiran) । भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई), कोलकाता के अंतर्गत संचालित अंतरराष्ट्रीय सांख्यिकी शिक्षा केंद्र (आईएसईसी) का 76वां दीक्षांत समारोह शुक्रवार को संस्थान परिसर में आयोजित किया गया। यह प्रतिष्ठित 10 माह का डिप्लोमा पाठ्यक्रम सांख्यिकी सिद्धांत और अनुप्रयोग विषय पर केंद्रित होता है, जिसमें विकासशील देशों के छात्र भाग लेते हैं। यह कार्यक्रम भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय के सहयोग से संचालित होता है, जो जरूरतमंद और योग्य छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करते हैं।
इस वर्ष बुरुंडी, फिजी, मॉरीशस, मंगोलिया, म्यांमार, नाइजीरिया, नाइजर, सिएरा लियोन, दक्षिण सूडान, तंजानिया, युगांडा, वेनेजुएला और ज़िम्बाब्वे जैसे देशों से कुल 19 छात्रों ने इस डिप्लोमा कार्यक्रम में प्रशिक्षण प्राप्त किया। इनमें से 18 छात्रों ने समारोह में भाग लिया और डिप्लोमा ग्रहण किया।
समारोह की शुरुआत आईएसआई क्लब के सदस्यों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ हुई। आईएसईसी के निदेशक मंडल के अध्यक्ष डॉ. एस. पी. मुखर्जी ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। आईएसआई की निदेशक प्रो. संघमित्रा बंद्योपाध्याय ने स्वागत भाषण दिया।
समारोह के मुख्य अतिथि और भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के सचिव डॉ. सौरभ गर्ग ने अपने संबोधन में आज के दौर में आंकड़ों की महत्ता और डेटा साक्षरता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने छात्रों से अत्याधुनिक तकनीक में निरंतर दक्षता बढ़ाने का आह्वान करते हुए आधार जैसी सफल पहलों और कृषि क्षेत्र में भू-स्थानिक तकनीकों के उपयोग का उदाहरण प्रस्तुत किया। साथ ही, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सांख्यिकी आयोग की सदस्य संख्या 24 से बढ़ाकर 54 किए जाने में भारत की भूमिका को भी रेखांकित किया, जिससे वैश्विक दक्षिण के देशों को अधिक लाभ मिल सकेगा।
इस अवसर पर छात्रों को डिप्लोमा और खेल पुरस्कार प्रदान किए गए। डॉ. गर्ग ने छात्रों को सम्मानित किया। इस वर्ष विशेष रूप से शैक्षणिक उत्कृष्टता पुरस्कार की शुरुआत की गई, जिसे प्रो. मुखर्जी ने ज़िम्बाब्वे के जेम्स नमाडे को प्रदान किया।
आईएसईसी के सदस्य सचिव डॉ. मोहम्मद ज़फ़र अनीस ने संस्थान की शैक्षणिक गुणवत्ता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की परंपरा को रेखांकित किया। उन्होंने वैश्विक प्रतिभागियों के लिए आयोजित विशेष पाठ्यक्रमों का उल्लेख करते हुए आईएसईसी को भारत और विकासशील देशों के बीच ज्ञान सेतु बताया।
वर्ष 1950 में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के छात्रों को सांख्यिकी में प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से आईएसईसी की स्थापना की गई थी। विदेश मंत्रालय के भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित यह केंद्र अब तक 86 देशों के 1,728 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित कर चुका है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
