
गुवाहाटी, 23 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए निर्मम आतंकी हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए असम प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद दिलीप सैकिया ने गहरा आक्रोश और दुख जताया। उन्होंने कहा कि यह बर्बर हमला न केवल पूरे देश को शोक में डुबो गया है, बल्कि वैश्विक समुदाय को भी स्तब्ध कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह घटना आतंकवाद की पारंपरिक परिभाषा से परे जाकर एक नई और भयावह शक्ल को सामने लाती है।
आमतौर पर हम आतंकवाद को अंधाधुंध गोलीबारी, विस्फोटों और हिंसा के रूप में जानते हैं, लेकिन पहलगाम की यह घटना धार्मिक आधार पर चयनित हत्याओं के ज़रिए आतंक के सांप्रदायिक चेहरे को उजागर करती है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में, कथित तौर पर आतंकियों ने पहले पीड़ितों की धार्मिक पहचान पूछी और फिर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाकर उनकी हत्या की। यह सुनियोजित और सांप्रदायिक हिंसा भारत की सनातन संस्कृति पर सीधा हमला है।
दिलीप सैकिया ने देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों पर भी निशाना साधा, जो स्वयं को धर्मनिरपेक्ष और वाम-उदारवादी बताते हैं, लेकिन लगातार सनातन परंपरा को बदनाम करते हुए आतंकियों के प्रति सहानुभूति प्रकट करते आए हैं। उन्होंने अफ़ज़ल गुरु से लेकर बुरहान वानी तक आतंकवादियों को नायक के रूप में प्रस्तुत करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे रवैये ने आतंकवाद को और विकृत और उग्र रूप दिया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति को पूरी सख्ती से लागू करने की आवश्यकता बताते हुए सैकिया ने कहा कि देश की सनातन सामाजिक संरचना को कमजोर करने वाले तत्व प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंक की विचारधारा को खाद-पानी दे रहे हैं।
उन्होंने कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर भी तीखा प्रहार करते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी जैसे नेता बार-बार आतंकियों का बचाव करते आए हैं। 2010 और 2013 में तत्कालीन गृहमंत्रियों पी. चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे द्वारा हिन्दुओं को आतंकवादी बताना और फिर संसद में माफ़ी मांगना, राहुल गांधी का 2021 में हिंदुत्व विचारकों को देश से बाहर निकालने की बात करना और कांग्रेस नेता सतीश जरकीहोली द्वारा हिंदू शब्द को अपमानजनक कहना—ये सभी उदाहरण देशविरोधी मानसिकता के प्रतीक हैं।
कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडी गठबंधन में शामिल कई दलों ने भी लगातार भारत और उसकी मूल सांस्कृतिक पहचान की आलोचना की है। तमिलनाडु के डिप्टी सीएम उधयनिधि स्टालिन द्वारा हिंदू धर्म की तुलना कोरोना वायरस और कीड़ों से करना इसका एक शर्मनाक उदाहरण है।
सैकिया ने कहा कि लोकतंत्र में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन वैचारिक विरोध के नाम पर देश और उसकी सांस्कृतिक आत्मा पर हमला किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की यही मानसिकता अलगाववादियों और आतंकियों का हौसला बढ़ाती है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सशक्त नेतृत्व में पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है। पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने तुरंत काउंटर-टेरर ऑपरेशन शुरू कर दिया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सुरक्षा टीम के साथ कश्मीर पहुंचे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपना विदेश दौरा बीच में छोड़कर रातोंरात दिल्ली लौट कर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। पूरे कश्मीर घाटी, खासकर पहलगाम में सुरक्षा बलों की तैनाती और ऑपरेशन को और तेज़ किया गया है।
दूसरी ओर, जहां विपक्षी नेता गैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने की निर्दयी और स्पष्ट रणनीति पर काम कर रही है।
(Udaipur Kiran) / श्रीप्रकाश
