किशनगंज, 26 जुलाई (Udaipur Kiran) । बिहार भाजपा में बड़ा उलटफेर हुआ है। भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को हटाकर डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को कमान सौंपी है। केंद्रीय नेतृत्व ने एक साल के भीतर ही प्रदेश अध्यक्ष के पद से सम्राट चौधरी को हटाने का फैसला ले लिया। साथ ही बिहार में भूमि सुधार मंत्री के रूप में काम कर रहे डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
इस फेरबदल के पीछे लोकसभा चुनाव के नतीजे और कुशवाहा वोट बैंक में विपक्ष की सेंधमारी मुख्य कारण माना जा रहा है। डॉ. जायसवाल अतिपिछड़ा वैश्य समाज से आते हैं। भाजपा ने बिहार में अतिपिछड़ा वोट बैंक को साधने और इसपर अपनी पकड़ मजबूत बनाकर रखने के लिए लगातार काम करती रही है। अतिपिछड़ा वोट बैंक को जोड़कर रखने के लिए जायसवाल पर पार्टी ने भरोसा जताया है। सम्राट चौधरी से ठीक पहले इसी समाज से संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था।
भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में झांके तो सन 1980 में स्थापना के बाद ओबीसी और अगड़ी जाति के नेताओं को अध्यक्ष बनने का मौका मिला है। सबसे पहले कैलाश पति मिश्रा अध्यक्ष पद पर रहे हैं। तीन बार यादव समाज के जगदंबी प्रसाद यादव (1981-1984), नंद किशोर यादव (1998-2003), नित्यानंद राय (2016-2019) रहे। वैश्य समाज से सुशील मोदी (2005-2006), संजय जायसवाल (2016-2019) रहे। ब्राह्मण और भूमिहार समाज से कैलाश पति मिश्र दो बार 1980 और 1981 फिर बाद में 1984 1987 तक अध्यक्ष रहे।
इसके अलावा तारकांत झा (1990 1993), गोपाल नारायण सिंह (2003-2005), सीपी ठाकुर (2010-2013), मंगल पांडे (2013-2016), राजपूत समाज से राधा मोहन सिंह और कुशवाहा समाज से सम्राट चौधरी बने है। एक समय बिहार भाजपा के बड़े दलित नेता संजय पासवान को अध्यक्ष बनने की चर्चा साल 2000 के आसपास कई बार चली लेकिन बिहार भाजपा ने अपने नेतृत्व की जिम्मेदारी देने के लिए दलित समाज के किसी व्यक्ति पर अब तक भरोसा नहीं दिखा पाई है।
(Udaipur Kiran) / धर्मेन्द्र सिंह / चन्द्र प्रकाश सिंह