West Bengal

जगन्नाथ मंदिर विवाद पर बोले दिलीप घोष ‘दलबदलुओं से समझौता नहीं करूंगा’

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कोलकाता, 9 मई (Udaipur Kiran) । दीघा के नवनीत निर्मित जगन्नाथ मंदिर जाकर दर्शन करने एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मुलाकात को लेकर पार्टी नेताओं के जुबानी हमले झेल रहे भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष आरएसएस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर साफ कह दिया है कि वह किसी के साथ समझौता नहीं करेंगे और अपनी पुरानी शैली में ही लड़ाई जारी रखेंगे।

दिलीप घोष ने जगन्नाथ मंदिर दर्शन को लेकर उठे विवाद पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अधिकारियों से मुलाकात की। उन्होंने यह साफ कर दिया कि भाजपा के भीतर जो नेता उनके खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं, वे अधिकतर तृणमूल से आए दलबदलू हैं और ऐसे लोगों के साथ वह कोई समझौता नहीं करेंगे।

सूत्रों के अनुसार, दिलीप घोष गुरुवार को राज्य आरएसएस मुख्यालय ‘केशव भवन’ पहुंचे और वहां संघ के शीर्ष पदाधिकारियों से विस्तृत बातचीत की। इसमें उन्होंने पार्टी के मौजूदा हालात, उनके खिलाफ उठ रही आवाजें और उन दलबदलू नेताओं की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

घोष ने आरएसएस को स्पष्ट तौर पर बताया कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी और वह अकेले ही उसका सामना करेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें भाजपा में भेजने वाला आरएसएस ही था, यदि संघ चाहे तो वह उन्हें पार्टी से वापस बुला सकता है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि पार्टी में जो लोग उनके खिलाफ माहौल बना रहे हैं, उन्हें संघ समझाए।

घोष ने कहा, “मुझे आरएसएस ने बुलाया था, मैंने जाकर सब कुछ स्पष्ट कर दिया।”

दरअसल, हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निमंत्रण पर दिलीप घोष ने दीघा में जगन्नाथ मंदिर जाकर दर्शन किए थे। इसके बाद भाजपा के कुछ दलबदलू नेताओं ने उन पर हमले शुरू कर दिए और उन्हें पार्टी विरोधी ठहराने की कोशिश की।

इस पूरे विवाद के बीच बुधवार को हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक और प्रदेश भाजपा की विस्तारित बैठक में भी दिलीप घोष को आमंत्रित नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार, पार्टी का पदाधिकारी खेमा उन्हें किनारे लगाने की कोशिशों में जुटा हुआ है।

हालांकि, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने पार्टी में किसी भी प्रकार के अंतर्विरोध से इनकार किया। उन्होंने कहा, “हमारे बीच कोई लड़ाई नहीं है। मतभेद हो सकते हैं लेकिन मनभेद नहीं हैं। तृणमूल को हटाना ही हम सभी का लक्ष्य है और इसमें कोई भ्रम नहीं है।”

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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