
देहरादून, 9 अप्रैल (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा देहरादून में आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर ने केंद्र और राज्यों के बीच संवाद के नए आयाम स्थापित किए। शिविर में 34 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें से 19 राज्यों के विभागीय मंत्री भी शामिल थे। यह शिविर सहभागिता, सुझावों और सहयोग की दृष्टि से अत्यंत सफल रहा।
बढ़ी संख्या, बढ़ी गर्मजोशी, सफल रहा प्रयास
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने राज्यों के साथ चिंतन की नई परंपरा शुरू की है। इस क्रम में दिल्ली से लेकर आगरा तक चिंतन शिविर आयोजित किए जा चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड सबसे अच्छा अनुभव कराने वाला रहा। यहां इस बार 19 राज्यों के संबंधित विभागीय मंत्री कार्यक्रम में शरीक हुए। 34 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों के अफसर आए। पिछले वर्ष आगरा में इस कार्यक्रम में सिर्फ आठ राज्यों के मंत्री पहुंचे थे। इस तरह के कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा राज्यों को जोड़ने के केंद्र सरकार के प्रयास देहरादून में सफल साबित होते दिखे।
उत्तराखंड की भूमिका, हर किसी ने सराही
चिंतन शिविर में उत्तराखंड की सक्रियता को हर किसी ने सराहा। कैबिनेट मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार हों या उनके राज्य मंत्री बीएल वर्मा व रामदास अठावले, सभी ने आयोजन में उत्तराखंड की भूमिका को खास तौर पर रेखांकित किया। केंद्रीय मंत्रियों ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिविर के लिए ना सिर्फ समय निकाला, बल्कि यह भी पूछा कि उन्हें उत्तराखंड के स्तर पर और क्या सहायता चाहिए।
नशामुक्ति अभियान का कैलेंडर आया पसंद
उत्तराखंड की ओर से केंद्रीय मंत्री को नशामुक्ति अभियान से संबंधित कैलेंडर दिया गया है। समाज कल्याण निदेशक प्रकाश चंद के अनुसार-12 पेज के इस कैलेंडर में नशामुक्ति अभियान के लिए उठाए गए कदमों को प्रदर्शित किया गया है। विशेषकर अल्मोड़ा व अन्य जगहों पर किए गए कार्यक्रमों का बेहतर चित्रण किया गया है, जिसे केंद्रीय मंत्री ने बहुत पसंद किया।
राज्यों से आए मंत्रियों को भाया उत्तराखंड
उत्तराखंड के बेहतर प्राकृतिक वातावरण के बीच चिंतन शिविर का आयोजन राज्यों के मंत्रियों को बहुत भाया। छत्तीसगढ़ की मंत्री लक्ष्मी रजवाडे़, गोवा के सुभाष देसाई, मध्य प्रदेश के नारायण कुशवाह, उत्तर प्रदेश के नरेंद्र कश्यप आदि ने उत्तराखंड में चिंतन शिविर के आयोजन पर खुशी जाहिर की।
(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal
