
-एसजीटी यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए केंद्रीय मंत्री-बोले, भारत फिर बनेगा वैश्विक महाशक्ति
गुरुग्राम, 14 फरवरी (Udaipur Kiran) । केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि 21वीं सदी में भारत फिर से वैश्विक महाशक्ति बनने जा रहा है। आज हम विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी है, बहुत जल्द हम तीसरी पायदान पर पहुंचने वाले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार के सार्थक, सकारात्मक व दीर्घकालिक निर्णयों-कदमों से भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र एवं विश्व की सर्वाधिक समृद्ध इकोनॉमी बनेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री शुक्रवार को गुरुग्राम स्थित एसजीटी यूनिवर्सिटी के 11वें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे।
इस कार्यक्रम में जाने-माने अधिवक्ता और दिल्ली डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन(डीडीसीए) के अध्यक्ष रोहन जेटली दीक्षांत समारोह में गेस्ट आफ ऑनर के रूप में शामिल हुए। एसजीटी विश्वविद्यालय के चांसलर पद्मभूषण राम बहादुर राय, मैनेजमेंट ट्रस्टी मनमोहन सिंह चावला भी उपस्थित थे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की सोवीनार का भी विमोचन किया गया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि युवा शक्ति के बल पर भारत विकास की तेज दौड़ लगाएगा। आज भारत की 142 करोड़ की आबादी में से 68 करोड़ से अधिक की आयु 25 वर्ष से कम है। इतनी अथाह युवा शक्ति विश्व के और किसी देश के पास नहीं। धर्मेन्द्र प्रधान ने डिग्री पाने वाले छात्रों से आह्वान किया कि वह अगले दो-तीन दशकों की मैपिंग करें, फिर रणनीति तैयार करें, साथ ही जड़ से भी जुड़े रहें। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज डिग्री लेने वाले छात्र 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए खुद का रोड मैप बनाएं, यह भी सुनिश्चित करें कि देश के विकास में वे कितना योगदान करने जा रहे हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने सिलिकॉन वैली का उदाहरण देते हुए कहा कि दुनिया की हर इकोनॉमी के पीछे कोई न कोई विश्वविद्यालय अवश्य होता है। आज री स्किलिंग और अपस्किलिंग का दौर है। एसजीटी विश्वविद्यालय की खुले मन से प्रशंसा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गुरुग्राम भारतीय इकोनॉमी का इंजन बना हुआ है और एसजीटी यूनिवर्सिटी इसके लंग्स (फेफड़े) की तरह है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि पहली औद्योगिक क्रांति जब हुई, तब हम समझ नहीं पाए, दूसरी क्रांति में हम मजदूर बने और तीसरी में मैनेजर और सुपरवाइजर। अब चौथी औद्योगिक क्रांति में हम नेतृत्व करने की स्थिति में आने को तैयार हैं। गेस्ट आफ ऑनर रोहन जेटली ने डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत ट्रांसफार्मेशन के दौर में है। ऐसे में युवाओं की जिम्मेदारी और बढ़ गई है कि वे तमाम चुनौतियों से निपटते हुए राष्ट्र सेवा और तेज आर्थिक विकास के लक्ष्य पाने में सार्थक, सकारात्मक सहयोग दें।
एसजीटी में दिखी नारी शक्ति की झलक
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि एसजीटी यूनिवर्सिटी के 11वें दीक्षांत समारोह में भाग लेते हुए मैं बहुत खुश हूं। 2240 छात्रों को ग्रेजुएट की डिग्री मिल रही है। 120 गोल्ड मेडलिस्ट बने जिनमें 87 छात्राएं हैं। यानी एसजीटी में आकर नारी शक्ति की साक्षात झलक दिखी है। केंद्रीय मंत्री ने विभिन्न विभागों, संकायों के छात्रों को शिक्षा जगत की शीर्ष डिग्री पीएचडी प्रदान की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, पद्म भूषण डा. ए सूर्य प्रकाश और जानी मानी गांधीवादी स्कालर डा. शोभना राधाकृष्ण को डी-लिट की मानद उपाधि प्रदान की गई। विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डा. मदन मोहन चतुर्वेदी ने विवि की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। समारोह में मेडिकल व डेंटल के यूजी व पीजी स्टूडेंट को भी डिग्री प्रदान की गई।
चांसलर लाइब्रेरी का लोकार्पण
इससे पूर्व शिक्षा मंत्री ने एसजीटी विश्वविद्यालय परिसर में चांसलर लाइब्रेरी का लोकार्पण किया। कुलाधिपति राम बहादुर राय ने अपनी निजी लाइब्रेरी विश्वविद्यालय को समर्पित की है। शिक्षा मंत्री ने कुलाधिपति और हाल ही में पद्म भूषण से सम्मानित राम बहादुर राय के अद्भुत साहित्यिक योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, एसजीटी विश्वविद्यालय ने ज्ञान परंपरा का एक महत्वपूर्ण अध्याय रचा है और कुलाधिपति पुस्तकालय इसका प्रमाण है। यह पुस्तकालय राम बहादुर राय के जीवन के कार्यों को दर्शाता है और इसमें स्वतंत्रता से लेकर आज तक के भारत के सामाजिक इतिहास पर शोध और साहित्य उपलब्ध हैं।
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(Udaipur Kiran)
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