Madhya Pradesh

लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए विशेष मैराथन दौड़ का डीजीपी मकवाणा ने किया समापन

राजधानी भोपाल में हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन मंगलवार को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्‍यालय द्वारा किया गया।7
राजधानी भोपाल में हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन मंगलवार को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्‍यालय द्वारा किया गया।5
राजधानी भोपाल में हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन मंगलवार को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्‍यालय द्वारा किया गया।3
राजधानी भोपाल में हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन मंगलवार को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्‍यालय द्वारा किया गया।2
राजधानी भोपाल में हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन मंगलवार को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्‍यालय द्वारा किया गया।

‘हम होंगे कामयाब’ अभियान: समानता और मानव अधिकारों की दिशा में एक नई पहल

भोपाल, 10 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राजधानी भोपाल में हम होंगे कामयाब जागरूकता अभियान के अंतर्गत लिंग आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए एक विशेष मैराथन दौड़ का आयोजन मंगलवार को मानव अधिकार दिवस के अवसर पर महिला सुरक्षा शाखा पुलिस मुख्‍यालय द्वारा किया गया। इस दौड़ का शुभारंभ सुबह 9:30 बजे न्‍यू रविन्‍द्र भवन के सामने स्थित ग्राउंड से महापौर, नगर निगम भोपाल मालती राय तथा समापन प्रात: 11:00 बजे बोट क्‍लब पर पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा ने किया।

उल्‍लेखनीय है कि उक्‍त आयोजन मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशा अनुसार प्रदेश में महिला एवं बाल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रदेश व्यापी एक जन जागरुकता अभियान है, जोकि मध्‍यप्रदेश शासन द्वारा 16 दिवसीय लिंग आधारित हिंसा के उन्‍मूलन के लिए 25 नवंबर से चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य जेंडर आधारित हिंसा के उन्मूलन के लिए जागरूकता फैलाना और समानता व मानव अधिकारों को बढ़ावा देना है। यह पहल समाज के सभी वर्गों को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

राज्‍य के पुलिस विभाग द्वारा अयोजित इस इस मैराथन के आयोजन में पुलिस विभाग समेत शासन के 25 विभागों, स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी, और एनजीओ के सदस्य समेत लगभग 1500 प्रतिभागियों ने भाग लिया। देश में पहली बार इतने विभागों और एनजीओ तथा समाज की सहभागिता रही। समापन अवसर पर डीजीपी कैलाश मकवाणा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के प्रति संकल्पबद्धता, यह एक अत्यंत प्रासंगिक और महत्वपूर्ण विषय है। आज, जब हम इस विषय पर चर्चा कर रहे हैं, तो यह याद करना जरूरी है कि 40-45 साल पहले ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग बहुत कम थी, जो आज की तुलना में आश्चर्यजनक लगती है। इंटरनेट और तकनीकी विकास ने पूरी दुनिया को एक साथ जोड़ दिया है, लेकिन इसके सकारात्मक परिणामों के साथ-साथ इसके कई नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।

उन्‍होंने कहा, आज इंटरनेट पर उपलब्ध अश्लील सामग्री, दुर्भाग्य से, मोबाइल उपकरणों में भी आसानी से सर्कुलेट हो जाती है। इससे विकृत मानसिकता वाले व्यक्तियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जिससे महिलाओं और बच्चियों के प्रति उनकी सोच में नकारात्मक परिवर्तन आता है। यह कई बार छेड़खानी से लेकर गंभीर अपराधों तक की परिणिति बनता है। वास्‍वत में यह कार्यक्रम इस बात का उदाहरण है कि मध्यप्रदेश ऐसा पहला राज्य है, जिसने मुख्यमंत्री की पहल पर 25 विभागों के समन्वित प्रयास से महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा को प्राथमिकता दी। इस अभियान की शुरुआत 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय लैंगिक हिंसा उन्मूलन दिवस के अवसर पर हुई और इसका समापन आज अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर हो रहा है। इस दौरान जागरूकता अभियान, पेंटिंग प्रतियोगिताएं, बालिकाओं के दस्तावेज तैयार करना, सुरक्षा ऑडिट, और अन्य गतिविधियां आयोजित की गईं। झुग्गी-झोपड़ियों, हाट बाजारों, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, और स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां महिलाओं और बच्चों को हेल्पलाइन नंबर, कानून और अधिकारों की जानकारी दी गई।

डीजीपी मकवाणा ने कहा कि बीजिंग में 1995 में हुए अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मेलन में एक घोषणा पत्र जारी किया गया था, जिसमें 2030 तक लैंगिक असमानता का उन्मूलन करने और महिलाओं को समान अधिकार दिलाने का लक्ष्य रखा गया। इस दिशा में यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण कदम है। महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों को रोकने के लिए पुरुषों और बालकों को संवेदनशील बनाना अत्यंत आवश्यक है। यह प्रक्रिया घर से शुरू होती है, जहां माता-पिता यह सुनिश्चित करें कि बेटे और पुरुष समानता और सम्मान का व्यवहार अपनाएं। स्कूलों और कॉलेजों में युवाओं को इस विषय में जागरूक करना जरूरी है ताकि वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें। उन्‍होंने कहा कि इस पखवाड़े के अंतर्गत हुए सुरक्षा ऑडिट के निष्कर्षों का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा और इसके आधार पर आगे की नीतियां तैयार की जाएंगी। निजी क्षेत्र की समितियों के गठन पर भी विचार किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सफलता इस बात से स्पष्ट है कि इसमें सभी विभागों और लोगों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्‍होंने सभी से अपील की कि इस अभियान को जारी रखें और इसे व्यापक स्तर पर फैलाएं।

इस अवसर पर डीजीपी ने मैराथन दौड़ के विजेताओं को पुरस्‍कार प्रदान किए तथा महिला पुलिसकर्मियों को हेलमेट भी वितरित किए। उन्‍होंने कार्यक्रम में शामिल सभी अधिकारियों, विभागों और प्रतिभागियों को इस सफल आयोजन के लिए बधाई दी। वहीं, विशेष पुलिस महानिदेशक महिला सुरक्षा शाखा प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्‍तव ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय लैंगिक हिंसा उन्मूलन दिवस के तहत 15 दिवसीय अभियान का लक्ष्य जेंडर आधारित हिंसा का पूर्ण उन्मूलन है, जिसे 2030 तक प्राप्त करने का संकल्प लिया गया है। इस अभियान के दौरान, पूरे प्रदेश में विभिन्न विभागों द्वारा जागरूकता रैलियां, नुक्‍कड़ नाटक और अन्य गतिविधियां आयोजित की गईं। उन्‍होंने कहा कि महिला बाल विकास विभाग, खेल एवं युवा कल्याण विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग तथा यूएन विमेन और आप सभी के सहयोग से यह आयोजन सफल रहा। यह अभियान यहीं समाप्त नहीं होता, बल्कि इसे आगे भी निरंतर जारी रखा जाएगा।

अभियान में शामिल विभाग और सेवाएँ

यह अभियान महिला एवं बाल विकास विभाग के नेतृत्व में 25 सरकारी विभागों के सहयोग से संचालित किया गया। प्रमुख भागीदार विभाग और उनकी भूमिका इस प्रकार रही। महिला एवं बाल विकास विभाग: अभियान का मुख्य प्रायोजक, जिसने विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया गया। शिक्षा विभाग ने स्कूलों और कॉलेजों में विशेष सत्रों के माध्यम से युवाओं को जागरूक किया गया। स्वास्थ्य विभाग नेमहिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं और जागरूकता को बढ़ावा दिया गया। पुलिस विभाग ने महिला सुरक्षा के लिए महिला हेल्पलाइन 112 और 1090 के माध्यम से त्वरित सहायता प्रदान की जा रही है। साथ ही चित्रकला और स्वरचित कविता लेखन/पाठ प्रतियोगिता एवं समापन के अवसर पर भव्य मैराथन दौड़ आयोजित की गई। इस प्रकार जन संवाद कार्यक्रमों के आयोजन में पुलिस विभाग ने सक्रिय भागीदारी की, जिससे महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके। स्थानीय प्रशासन में जिलों कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने सक्रिय रूप से इस अभियान का संचालन किया। स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायतों को अभियान में शामिल किया गया, जिससे ग्रामीण समुदायों में जागरूकता बढ़ सके। गैर सरकारी संगठन (NGOs): समाज के कमजोर वर्गों के लिए विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बच्चों और महिलाओं के साथ जागरूकता अभियान चलाया।

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(Udaipur Kiran) / डॉ. मयंक चतुर्वेदी

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