Uttar Pradesh

लाक्षागृह के छह करोड़ की विकास योजना रसातल में

लाक्षागृह

प्रयागराज, 10 सितम्बर (Udaipur Kiran) । महाकुम्भ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के पवित्र संगम में एक डुबकी लगाकर मोक्ष पाने वालों की सुविधा व ज्ञान के लिए मुख्यमंत्री योगी पिछले कई वर्षो से तरह-तरह की योजनाए बनाने व उसके लिए धन साधन जुटाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके कड़े अनुशासन व बड़े प्रयास के बाद भी बड़ी कुर्सी पर बैठे कुछ अधिकारी अपने मनमानी पूर्ण निर्णय को शासन का आदेश बताकर अमल में ला रहे हैं।

धर्मक्षेत्र लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति के संस्थापक व राष्ट्रीय महामंत्री ओंकार नाथ त्रिपाठी प्रयागराज में पर्यटन विभाग की लीपापोती पर क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता सिंह से उनके कार्यालय में मिले और मुख्यमंत्री योगी द्वारा महाभारत सर्किट में पाण्डव कालीन राजभवन लाक्षागृह को भी इसमें शामिल किए जाने व कई विकास निर्माण योजनाओं की प्रगति के बारे में पूछा, तो उन्होने लाक्षागृह की कोई विकास योजना उनके पास न होने की बात कही।

ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया कि लाक्षागृह की थीम व वस्तुस्थिति के आधार पर विद्वानों द्वारा तैयार करायी गई 6 करोड़ रूपये की विकास निर्माण योजना पूर्व पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी ने पर्यटन विभाग को दिया था। जिस पर योजना उपयोगी होने की बात कहकर मंत्री ने पूरा प्रोजेक्ट बनाकर शासन को भेजने को कहा था। किन्तु अब वो कहती हैं कि ऐसी कोई फाइल मेरे पास नही है।

ओंकारनाथ त्रिपाठी बताते हैं कि किलाकोट के किनारे-किनारे बाउन्ड्रीवॉल बनवाने के लिए एमएलसी डॉ केपी श्रीवास्तव से संस्तुति करवाकर दिया था। माँ गंगा की बाढ़ व धारा से बहने व टूटने से बचाने के लिए रिटेनिंग वाल सहित किलाकोट के किनारे-किनारे महाराज विदुर द्वारा खुदवाई गई खाईं को बच्चों की तैराकी नहर के रूप में बदलने के लिए, किला कोट पर महाभारत शोधशाला, महाभारत के लाक्षागृह से जुड़े कथानक व पात्रों में माता कुन्ती, निषाद माता गंगा, जमुना व माँ सरस्वती के संयुक्त आकृति वाली मूर्ति, आधुनिक संसाधनों युक्त भीम अखाड़ा, नक्षत्र वाटिका व पूर्व में निर्मित मंदिरों व परिक्रमा मार्गो का जीर्णोधार आदि के निर्माण सम्बन्धित प्रस्ताव भेजा था। इस बारे में उन्होने कोई प्रस्ताव व अधिकार व प्रार्थना पत्र अपने पास होने से इन्कार कर दिया। इस तरह पूरी छह करोड़ की विकास निर्माण योजना रसातल में चली गई।

ओंकारनाथ त्रिपाठी ने बताया कि 2011 से श्री मज्ज्योतिष्पीठाधीस्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती महाराज की प्रेरणा से पंचमवेद महाभारत का विस्तृत अध्ययन व भौतिक सत्यापन करके किलाकोट लाक्षागृह को पुनर्जागृत करने के लिए 24 सूत्रीय निर्माण कार्य का प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन के माध्यम से दिया। अब विभिन्न माध्यमों से प्राप्त सरकारी कोष से लगभग चार करोड़ रूपये का निर्माण कार्य लाक्षगृह किला कोट पर हो चुका है। सवा दो करोड़ से भव्य शिव भवन एवं सत्संग भवन ओपेन थियेटर (मुक्तांगन) के लिए विधायक हाकिम चंद की संस्तुति पर 50 लाख का प्रस्ताव सरकार को भेजा जो बनकर तैयार हो गया।

डीएम के निर्देश पर पर्यटन विभाग की नियमावली के अनुसार सत्संग भवन आदि निर्माण कार्यों की देखरेख व सुरक्षा का दायित्व शंकराचार्य की अध्यक्षता वाली धर्मक्षेत्र लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति को लिखित में दिया गया। ओपेन थियेटर की चाभी भी पर्यटन समिति को दिया गया, किन्तु उसका लिखित पत्र चोरी-चोरी अपराजिता सिंह ने ग्राम प्रधान पति को दे दिया। इस तरह और भी अनियमितता उन्होंने किया है। पर्यटन समिति व संतों व ग्रामीणों के प्रयास से विकसित व निर्मित हो रही किला कोटि योजना की काट छाट किए जाने पर समिति के महामंत्री ने कहा कि आंधर बाध बरे जाय, पड़वा चबाए जाय। जो भी विकास कार्य योजना समिति जाती है अपराजिता मनमाने ढंग से छिन्न-भिन्न करके अवैध कब्जा करा देती हैं।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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