Uttar Pradesh

नवाचार को इस तरह विकसित करें कि समाज का अंतिम व्यक्ति उठा सके लाभ: कुलपति

छात्रों को संबोधित करते कुलपति

कानपुर, 28 जनवरी (Udaipur Kiran) । भारत को विरासत में शिक्षा और नवाचार मिला है और इसका प्रतीक नालंदा और तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालयों से समझा जा सकता है। जो दुनिया भर में उत्कृष्ट शिक्षा के केंद्र रहे हैं। भारत के शैक्षणिक विकास में समाज के हर व्यक्ति की भागीदारी होनी चाहिए और हम सब की जिम्मेदारी भी है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत में न केवल अपनी सीमाओं के भीतर बल्कि दुनिया भर में समान शैक्षिक भागीदारी पर चर्चा करते हुए शैक्षिक असमानताओं को पाटने की बेहतरीन क्षमता है। यह बातें मंलवार को गोवा में आयोजित तीन दिवसीय क्यूएस इंडिया समिट 2025 कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कही। प्रो. पाठक 27 से 29 जनवरी तक गोवा में आयोजित हो रहे क्यूएस इंडिया समिट 2025 कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट वक्ता की भूमिका निभा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हमें नवाचार इस प्रकार विकसित करना है कि समाज का अंतिम व्यक्ति भी उसका लाभ उठा सके। उन्होंने कहा कि भारत में ज्ञान और नवाचार की ऐतिहासिक परंपरा रही है। उन्होंने कहा कि भारत में उच्च शिक्षा स्ट्रीम के तहत लगभग 40 मिलियन छात्र अध्ययन कर रहे हैं। शिक्षा से संबंधित हमारा नवाचार, डिजिटल प्लेटफॉर्म और किफायती मॉडल या सहयोगी अनुसंधान के माध्यम से सीखना दुनिया भर में बदलाव ला सकता है। आगे उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल द्वारा प्रदेश में चलाए जा रहे आंगनबाड़ी मॉडल को देश भर लागू करना चाहिए क्योंकि इसके माध्यम से भारत के भविष्य को निखारा जा सकता है। यह समाज में समानता के साथ विकास को बढ़ावा दे रहा है।

तीन दिन के इस आयोजन का मुख्य लक्ष्य भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के बीच नए सहयोग स्थापित करना और मौजूदा संबंधों को मजबूत करना है। आयोजन के माध्यम से हो रहे विमर्श के आधार पर गहरी साझेदारी को बढ़ावा देकर, भारत वैश्विक शिक्षा नेता के रूप में अपनी भूमिका का विस्तार कर सकता है, जिससे दुनिया भर में शैक्षिक अंतराल को कम करने में मदद करने वाले पुलों का निर्माण हो सके।

(Udaipur Kiran) / रोहित कश्यप

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