नई दिल्ली, 7 दिसंबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली में प्रदूषण के कारण ग्रैप-4 लागू किए जाने के दौरान बेरोजगार हुए 20 लाख श्रमिकों को तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने की मांग की है। उन्होंने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार पर ‘मजदूर विरोधी’ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक दिल्ली सरकार ने इन श्रमिकों की सुध नहीं ली है। उन्होंने कहा कि पर्याप्त धनराशि उपलब्ध होने के बावजूद इन श्रमिकों को सहायता क्यों नहीं दी जा रही, इसकी जांच होनी चाहिए। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करने वाले अधिकारियों से भी इसका जवाब मांगा जाना चाहिए।
गुप्ता ने बताया कि पिछले हफ्ते भी उन्होंने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर दिल्ली के 20 लाख श्रमिकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की और एक भी श्रमिक को आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं करवाई है।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने खुद पिछले दिनों ‘दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड’ (डीबीओसीडब्ल्यूडब्ल्यूबी) में पंजीकृत 90,759 श्रमिकों को 8000 रुपये की एकमुश्त आर्थिक सहायता देने का वादा किया था लेकिन आज तक दिल्ली सरकार ने एक भी श्रमिक को आर्थिक मदद उपलब्ध नहीं करवाई है।
गुप्ता ने कहा कि डीबीओसीडब्ल्यूडब्ल्यूबी के पास ‘लेबर सेस’ के रूप में इकट्ठा किया गया 4,500 करोड़ रुपये का फंड उपलब्ध होने के बावजूद न तो श्रमिकों को आर्थिक मदद उपलब्ध करवाई जा रही है और न ही पिछले 9 सालों में आम आदमी पार्टी की सरकार के कार्यकाल में श्रमिकों के कल्याण के लिए कोई नई योजना शुरू की गई।
विजेंद्र गुप्ता ने हैरानी जताई कि अपने को गरीबों और वंचितों का मसीहा कहने वाली ‘आम आदमी पार्टी’ चुनाव के वक्त तो इन्हें अपना वोट बैंक मानकर इनके कल्याण के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर देती है लेकिन सत्ता में आने के बाद उनकी तरफ मुड़कर भी नहीं देखती है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी लाखों श्रमिक महीनों तक बेरोजगार रहे थे लेकिन दिल्ली सरकार ने केवल दो बार ही उन्हें वित्तीय मदद उपलब्ध करवाई जो कि उनके लिए बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं थी। सरकार का यह रवैया उनकी ‘मजदूर विरोधी’ मानसिकता को उजागर करता है।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार